क्यों 50 हजार किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं, एक साल में फिर असंतोष क्यों?

Why 50 thousand farmers are marching to Delhi, why discontent again in a year?
Why 50 thousand farmers are marching to Delhi, why discontent again in a year?
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नई दिल्ली। एक साल पहले ही दिल्ली में चल रहा किसान आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की गई थी और एक बार फिर किसान राजधानी की ओर कूच कर गए हैं। कई राज्यों के किसान दिल्ली पहुंच रहे है्ं। गन्ने की कीमतों में वृद्धि की मांग लेकर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने 25 दिसंबर से राज्यव्यापी आंदोलन करने का फैसला किया है। सोमवार को राजधानी दिल्ली में ‘किसान गर्जना’ रैली निकाली जाएगी। खास बात यह है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा भारतीय किसान संघ कई मांगों को लेकर दिल्ली पहुंच रहा है औऱ किसान दिल्ली में विरोध मार्च निकालेंगे। इस रैली को देखते हुए राजधानी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं औऱ ट्रैफिक को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है। रामलीला मैदान के पास लंबे समय तक ट्रैफिक जाम रह सकता है। ट्रेन पकड़ने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन जाने वाले लोगों को भी एहतियात बरतनी होगी।

एक साल बाद फिर क्यों बढ़ा असंतोष
किसानों का मुख्य मुद्दा उत्पादों की कीमतों में वृद्धि है। किसानों का कहना है कि फल, सब्जियां, गन्ना, अनाज, दूध आदि चीजों की पर्याप्त कीमत नहीं मिलती है। ऐसे में बढ़ती महंगाई में किसानों का जीवन स्तर नीचे चला गया है। भारतीय किसान यूनियन की तरफ से कहा गया है कि किसान पर्याप्त कीमत ना मिलने की वजह से खुदकुशी कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि उत्पाद का मूल्य वृद्धि होना चाहिए। कृषि उपज पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए। सरसों के जीएम बीजों पर रोक लगनी चाहिए। किसान सम्मान निधि की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। इसके अलावा किसान के ट्रैक्टर को 15 साल वाले नियम से बाहर रखना चाहिए।

भारतीय किसान संघ के आह्वान पर देशभर के किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में इकट्ठा होंगे। इसको लेकर काफी इंतजाम भी किए गए हैं। हर 10 गांव में एक व्यक्ति को प्रमुख बनाया गया है और उसपर लोगों को लाने और उनकी व्यवस्था करने की जिम्मेदारी छोड़ी गई है। रविवार रात से ही किसान राजधानी पहुंच रहे हैं। किसान संघ का कहना है कि उनकी मांगें कई वर्षों से लंबित हैं। बता दें कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाता है। जिसके बाद किसान संगठनों ने लंबे समय से चल रहे आंदोलन को खत्म कर दिया था।

हरियाणा में भी होगा आंदोलन
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के स्टेट प्रेसिडेंट रतन मान ने कहा कि किसान चीनी मिलों के पास इकट्टा होंगे औऱ एक घंटे तक चक्का जाम करेंगे। उन्होंने कहा कि लोगों की असुविधा की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार किसानों को सड़क पर उतरने को मजबूर कर रही है। किसानों का कहना है कि सरकार गन्ना की कीमतों को लेकर ऐलान करने में देर कर रही है। पंचायत के दौरान बीकेयू नेताओं ने किसानों की कमेटी बनाई थी जो कि इस आंदोलन को लीड करेगी। किसानों की मांग है कि गन्ने की कीमत 362 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 450 रुपये की जाए।