अंतिम संस्कार के आखिर में क्यों फोड़ी जाती है मटकी? अन्धविश्वास नहीं, पीछे है लॉजिकल कारण

Why is the pot burnt at the end of the funeral? No superstition, there is a logical reason behind
Why is the pot burnt at the end of the funeral? No superstition, there is a logical reason behind
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दुनिया के हर इंसान का आखिरी सफर मौत होता है. जो इस दुनिया में आया है उसे एक ना एक दिन जाना ही पड़ता है. धर्म के हिसाब से अंतिम संस्कार के तरीके तय किये जाते हैं. जहां हिन्दुओं में शॉ को जलाया जाता है वहीं इस्लाम में इसे दफनाया जाता है. हिन्दू धर्म में तो अंतिम संस्कार से जुड़ी कई परम्पराएं होती है. लोग इन रुल्स के हिसाब से ही क्रिया-कर्म करते हैं ताकि जाने वाले की आत्मा को शान्ति मिल सके. अक्सर कई लोगों को लगता है कि ये सारी परम्पराएं अंधविश्वास है. लेकिन अगर आप इनकी डिटेल में जाएंगे, तो पाएंगे कि हर नियम के पीछे एक लॉजिकल कारण होता है.

हिंदू धर्म में जब किसी शव का अंतिम संस्कार किया जाता है तब शव की परिक्रमा छेद वाले मटके के साथ की जाती है. इसके बाद आखिर में मटके को फोड़ दिया जाता है. तब ही शव को अग्नि दी जाती है. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर शव की परिक्रमा के बाद मटके को फोड़ा क्यों जाता है? साथ ही पानी से भरे मटके में छेद क्यों किया जाता है. जहां इसके पीछे धार्मिक कारण है, वहीं इसके पीछे लॉजिकल वजह भी है. आज हम आपको इन्हीं कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं.

बेहद लॉजिकल है वजह
अंतिम संस्कार के दौरान शव को चिता पर लिटा कर उसके चारों तरफ परिक्रमा की जाती है. इस दौरान कंधे पर मटका रखा जाता है जिसमें पानी भरा होता है. इस मटके में एक छेद किया जाता है, जिससे परिक्रमा के दौरान पानी गिरता रहता है. जब परिक्रमा हो जाती है तब इस मटके को फोड़ दिया जाता है. अगर आपको ऐसा लगता है कि इसके पीक्जए सिर्फ अंधविश्वास है, तो आपको बता दें कि ऐसा नहीं है. दरअसल, इसके पीछे काफी लॉजिकल कारण है. दरअसल, पहले के समय में शमशान घाट नहीं हुआ करते थे. ऐसे में शव को खेतों में जलाया जाता है. मटके में पानी भरकर शव के चारों और घूमने के पीछे लॉजिक ये रहता था कि जब शव जले तब आग सिर्फ उसी एरिया में रह जाए. ये आगे ना फैले. इसी वजह से परिक्रमा के दौरान पानी गिराकर वहां की जमीन को गीला किया जाता था.

माने जाते हैं कई नियम
अंतिम सस्कार के दौरान और भी कई नियम माने जाते हैं. शव को सूर्यास्त के बाद नहीं जलाया जाता है. साथ ही मौत के बाद मुंह में सोने का एक टुकड़ा भी रखा जाता है. सारे नियम के पीछे ख़ास कारण होता है. अंतिम संस्कार के दौरान चिता पर छोटी-छोटी लकड़ियां डाली जाती हैं. इसके पीछे भी पुराने समय का एक ख़ास कारण है. दरअसल, पहले जब शमशान घाट नहीं हुआ करते थे, तब गांव में किसी की मौत के बाद लकड़ी की कमी ना हो, इस वजह से हर घर से पांच लकड़ी भेजे जाते थे. इसी कारण अब भी चिता को छोटी लकड़ियों से सजाया जाता है.