सुरंग से बाहर आते ही क्यों ढका जाएगा मजदूरों का चेहरा, सीधे जाएंगे अस्पताल; जानें हर सवाल के जवाब

Why will the workers' faces be covered as soon as they come out of the tunnel, they will go straight to the hospital; Know the answers to every question
Why will the workers' faces be covered as soon as they come out of the tunnel, they will go straight to the hospital; Know the answers to every question
इस खबर को शेयर करें

Silkyara Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के लिए आज का दिन शुभ साबित हो सकता है. पिछले 16 दिन की कोशिश के बाद अब सिर्फ पांच मीटर की दूरी बची हुई है. मजदूरों को निकालने के लिए वर्टिकल और समतल दोनों ड्रिलिंग जारी है. रैट माइनर्स मुस्तैदी के साथ अपने काम में जुटे हुए हैं. मजदूरों के परिजनों से कहा गया है कि वो कपड़े और बैग लेकर आएं. इसके साथ ही एयर एंबुलेंस को भी अलर्ट पर रखा गया है. टनल से मजदूरों को निकाले जाने के बाद उन्हें पहले अस्पताल पहुंचाया जाएगा. आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर मजदूरों को घर भेजे जाने की जगह पहले अस्पताल क्यों ले जाया जाएगा. यहां पर हम उन सवालों का जवाब देंगे.

सवाल- मजदूरों को पहले अस्पताल क्यों भेजा जाएगा.
जवाब- दरअसल 41 मजदूर जो टनल में फंसे हुए हैं उनके वाइटल पैरामीटर्स की जांच की जाएगी. सभी मजदूरों की बीपी, हार्ट बीट, सुगर के स्तर को चेक किया जाएगा. ऐसा तो नहीं कि किसी मजदूर में हाइपर टेंशन हो. टनल में इतने दिनों से फंसे होने की वजह से एंजाइटी का स्तर बढ़ा हो सकता है. अगर किसी मजदूर में एंजाइटी का स्तर बढ़ा हुआ होगा तो उसे पहले सामान्य किया जाएगा.

सवाल- अंधेरे से एकदम उजाले में जाने पर क्या असर पड़ता है.
जवाब- आपने खुद अनुभव किया होगा कि जब आप अपनी आंख को कुछ देर के लिए बंद करने के बाद उजाले में जाते हैं तो आपकी आंख से कुछ साफ नहीं दिखता है. कुछ देर के बाद आंख की पुतलियां रोशनी के साथ सामंजस्य बैठा पाती हैं और उसके बाद ही आप को चीजें साफ नजर आती हैं. अब ये मजदूर पिछले 16 दिन से टनल में फंसे हुए हैं जहां रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, ऐसे में जब उन्हें बिना ढके हुए नहीं बाहर लाया जाएगा तो उनकी आंखें चौंधियां जाएंगी और वो कुछ भी नहीं देख पाएंगे, ऐसी सूरत में धीरे धीरे उनकी आंखों को प्राकृतिक रोशनी के साथ सामंजस्य बैठाने की कोशिश होगी.

सवाल- क्या मजदूरों को हो सकती है मनोवैज्ञानिक समस्या
जवाब- मनोचिकित्सक कहते हैं कि हां. इतने दिनों से टनल में फंसे होने की वजह से जहां जीने की संभावना नगण्य हो. हर पल मौत का खतरा सता रहा हो तो तनाव का स्तर बढ़ जाता है. इस तरह से मजदूर गंभीर अवसाद का सामना कर सकते हैं जिसे पैनिक एंजाइटी डिस्ऑर्डर कहते हैं. इसके बाद पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर की भी समस्या आती है. जिसका लंबे समय तक असर रहता है.