भेड़िये, ऊंट, सूअर… चिड़ियाघर के जानवरों को मारकर खा रहे पुतिन के भूखे सैनिक, यूक्रेन में जंग लड़ रहे दरिंदे!

Wolves, camels, pigs... Putin's hungry soldiers, killing zoo animals and eating them, scoundrels fighting a war in Ukraine!
Wolves, camels, pigs... Putin's hungry soldiers, killing zoo animals and eating them, scoundrels fighting a war in Ukraine!
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कीव : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सैनिक करीब नौ महीने से यूक्रेन में जंग लड़ रहे हैं। अग्रिम मोर्चे पर मौजूद सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रूसी सैनिकों को जिंदा रहने के लिए चिड़ियाघर के जानवरों को खाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पुतिन की सेना फरवरी में यूक्रेन में जंग लड़ने गई थी। ऐसी अफवाहें हैं कि महीनों पहले उनके पास खाना खत्म हो गया था और वे स्थानीय लोगों से लूटे गए संसाधनों पर निर्भर हैं। लेकिन युद्धग्रस्त इलाकों में ज्यादातर स्थानीय लोग या तो घर छोड़कर भाग गए हैं या मारे जा चुके हैं। इस वजह से रूसी सैनिकों के पास बेहद कम विकल्प बचे हैं जिनमें से जिंदा रहने के लिए चिड़ियाघर के जानवरों को मारकर खाना एक है।

डेलीस्टार की खबर के अनुसार पूर्वी डोनेट्स्क में यम्पिल चिड़ियाघर के वालंटियर्स ने यह दावा किया है। यूक्रेन पर हमले के शुरुआती दिनों में रूस ने यम्पिल गांव पर कब्जा कर लिया था। लेकिन 30 सितंबर को यूक्रेन ने वापस इस पर नियंत्रण हासिल कर लिया। क्षेत्र में लौट रहे यूक्रेनी नागरिकों को बेहद चौंकाने वाले नजारे देखने को मिल रहे हैं। एक वालंटियर रेस्क्यू वर्कर को चिड़ियाघर के मैदान में कंकाल और मांस के टुकड़े बिखरे मिले हैं।

रूसी सैनिकों ने किन जानवरों को खाया?
उन्होंने कहा कि रूसी हमलावरों ने कई जानवरों को मारकर खा लिया है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, खाए गए जानवरों में दो ऊंट, एक कंगारू, एक जंगली भैंसा, कुछ सूअर, पक्षी और कई भेड़िये शामिल हैं। जीवित मिले जानवरों को दोबारा बसाने के लिए निप्रो शहर ले जाया जा रहा है। करीब 11,000 की आबादी वाला यम्पिल सितंबर में आजाद हो गया था जिसकी खबर मिलते ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने स्पेशल यूनिट्स की प्रशंसा की थी।

यूक्रेन में पुतिन के सैनिकों की बगावत
अब माना जा रहा है कि इन यूनिट्स ने सबसे पहले चिड़ियाघर में प्रवेश किया था। कुछ हफ्तों पहले रूस की 127वीं रेंजीमेंट के कमांडर्स पर आदेश न मानने का आरोप लगा था। बगावत करने वाले सैनिकों का कहना था कि वे अब युद्ध नहीं लड़ सकते हैं क्‍योंकि न तो उनके पास पानी है और न ही उन्‍हें राशन मिल रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं कई सैनिकों को उनकी सैलरी तक नहीं मिल रही है। बागी सैनिकों को रूस के कब्‍जे वाले क्षेत्र में बने डिटेंशन सेंटर्स में भेजे जाने की आशंका है।