लखनऊ. किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन देने के लिए गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर की तर्ज पर यूपी का गन्ना विभाग सेवरही के गन्ना शोध परिषद और मुजफ्फरनगर केंद्र में भी जैव उत्पादों का उत्पादन करेगा. इन केंद्रों पर भी अब ट्राइकोडर्मा, वाबेरिया के साथ-साथ ट्राइकोकार्ड व पीसीबी का उत्पादन किया जाएगा. इससे अधिक संख्या में किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज मिलने में आसानी होगी. वह कम लागत में अच्छी फसल पैदा कर सकेंगे. इस संबंध में गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी ने अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया है.
अपर मुख्य सचिव के अनुसार, जैव उत्पादों के उत्पादन और बीज उत्पादन के लिए गन्ना शोध परिषद, सेवरही एवं गन्ना शोध परिषद, मुजफ्फरनगर केंद्र पर भी जैव उत्पाद, ट्राइकोडर्मा, वाबेरिया, बैसियाना, मेटाराइजियम एनीसोपली, आर्गेनोडीकंपोजर के साथ-साथ ट्राइकोकार्ड, एजोटोबैक्टर और पीएसबी का उत्पादन किया जाएगा. इससे बीज संवर्द्धन की नवीन तकनीक और टिश्यू कल्चर से तेज गति से बीजों का संवर्धन किया जा सकेगा. इससे अधिक से अधिक किसानों को बीज उपलब्ध हो सकेंगे. इसके अलावा उन्होंने वैज्ञानिकों से किसान हित से जुड़े शोधों को बढ़ावा देने का निर्देश भी दिया है. इससे किसानों की लागत कम करके उपज में वृद्धि की जा सकेगी.
प्रदेश सरकार ने साढ़े चार सालों में किसानों की आय दोगुनी करने के साथ उनको तकनीक से जोड़ने का काम किया है. सरकार ने कम समय में गन्ना किसानों को सबसे अधिक 1.44 लाख करोड़ रुपये का भुगतान कर उनको राहत पहुंचाने का काम किया है. प्रदेश की 27 मंडियों को आधुनिक किसान मंडी के रूप में डेवलप किया जा रहा है. किसानों को तकनीक से जोड़ने के लिए 69 कृषि विज्ञान केंद्रों के अलावा 20 अन्य कृषि विज्ञान केंद्र निर्मित कराए जा रहे हैं, जहां पर किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई तकनीकों पर शोध किया जा रहा है.