हरियाणा में हुई झमाझम मानसून की पहली बारिश, टूटा 53 साल का रिकार्ड

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करनाल। देर से आए…पर दुरुस्त आए। यह कहावत मंगलवार को हुई मानसून की ताबड़ोड़ बरसात पर सटीक बैठती है। क्योंकि मानसून के आगमन के बाद भी बरसात नहीं हो पा रही थी, लेकिन मंगलवार सुबह जब बरसात आई तो पूरे शहर को पानी में डुबो दिया। शहर की कोई गली-मौहल्ला, सेक्टर या पाश एरिया ऐसा नहीं बचा जहां पर जलभराव ना हुआ हो। क्योंकि बरसात ही रिकार्ड तोड़ हुई है।

24 घंटे में होने वाली बरसात के आंकड़े पर गौर किया जाए तो 53 साल बाद यह सबसे बड़ी बरसात है। 15 जुलाई 1968 में 24 घंटे में रिकार्ड 242 एमएम बरसात हुई थी, उसके बाद 13 जुलाई 2021 को रिकार्ड 190 एमएम बरसात 24 घंटे के भीतर दर्ज की गई है। लगातार चार घंटे चली बरसात से शहर में सब अस्त-व्यस्त हो गया। हालांकि बड़े नुकसान की कोई सूचना नहीं है। कई जगहों पर पेड़ गिरने व जलभराव की वजह से ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति जरूर देखने को मिली है।

24 घंटे में हुई रिकार्ड तोड़ बरसात से जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया। जीटी रोड पर हालात ऐसे हो गए, जैसे यहां पर कोई सड़क ही ना हो। जहर जगह पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। शहर के पाश एरिया में भी जलभराव हो गया। घंटा घर चौक, आईटीआई चौक, निर्मल कुटिया, चौक, जिला सचिवालय, सेक्टर-12, सेक्टर-छह, सात, आठ, नौ व 13 में भी हालात बहुत खराब हो गए। मुख्य नाला मुगल कैनाल भी ओवरफ्लो हो गया। सभी सड़कें नालों में तब्दील हो गई। लोग अपने वाहनों को धक्का मारते हुए नजर आए।

लगातार चार घंटे तक हुई बरसात स्मार्ट सिटी की सीवरेज व नालों की व्यवस्था नहीं झेल पाई। जब सीवरेज व नाले ओवरफ्लो हो गए तो लोगों के घरों में पानी घुसना शुरू हो गया। शहर का मुगल कैनाल नाला सबसे बड़ा है जो पूरी तरह से ओवरफ्लो रहा। इसके अलावा रामनगर से आने वाले मुख्य नाले के भी यही हालात रहे। नालों के ओवरफ्लो होने का कारण उनकी प्रापर सफाई न होना है। सीवरेज व रेन वाटर ड्रेन के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद उनकी प्रॉपर सफाई नहीं हो सकी है।

शहर में राजीव पुरम, जनक पुरी, न्यू जनक पुरी, न्यू रमेश नगर, बहादुर चंद कालोनी, विकास कालोनी, माडल टाउन, सैनी कालोनी, दयानंद कालोनी, रेलवे रोड, देवी मंदिर रोड, बस स्टैंड रोड, महिला आश्रम रोड, शिव कालोनी, शास्त्री नगर, सब्जी मंडी रोड सहित विभिन्न क्षेत्रों में जलभराव की समस्या सामने आई।

इस समय कम दबाव का क्षेत्र उत्तर आंध्र प्रदेश और दक्षिण ओडिशा तट के पास पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना हुआ है। इसके प्रभाव से बना हुआ चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र औसत समुद्र तल से 5.8 किलोमीटर ऊपर तक फैला हुआ है। दक्षिण गुजरात और उत्तर पूर्व अरब सागर के ऊपर एक और कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। दक्षिण गुजरात और उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी बना हुआ है। एक टर्फ रेखा दक्षिण गुजरात पर निम्न दबाव के क्षेत्र से लेकर उत्तर मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ, दक्षिण छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के उत्तरी तट से होती हुई बंगाल की खाड़ी पर निम्न दबाव के क्षेत्र तक फैली हुई है।