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हिमाचल प्रदेश में शनिवार को हुई जबरदस्त बर्फबारी के बाद यहां पर येलो अलर्ट जारी किया गया है.प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में हुई भारी बारिश और बर्फबारी के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है. शनिवार को यहां हुई जबरदस्त बर्फबारी के कारण यातायात व्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है, क्योंकि भारी बर्फबारी के कारण 104 सड़कें बंद हो गई हैं. इसमें से तीन राष्ट्रीय राजमार्ग है. जारी आंकड़ों के अनुसार लाहौल और स्पीति में 99 सड़कें बंद हो गई हैं जबकि कुल्लू में तीन, कांगड़ा में एक और चंबा में एक सड़क बंद हो गई है. सड़क बंद हो जानेके कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आगे कहा कि कांगड़ा में भारी बारिश के कारण एक पुल बह गया है. वहीं एएनआई के मुताबिक एक अधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस महीने तक नए पुल का निर्माम होने की संभावना है. इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में 22 और 23 अप्रैल को अलग-अलग स्थानों पर बिजली गिरने की चेतावानी जारी की है. साथ ही कहा है कि कुछ स्थानों पर आंधी भी चलने की संभावना है. इसे लेकर प्रदेश में येलो अलर्ट जारी किया गया है.बता दें की येलो अलर्ट कई दिनों तक गंभीर रूप से मौसम खराब रहने का संकेत देता है.
सामान्य से अधिक होगी बारिश
गौरतलब है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भी दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून के दौरान देश भर सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान लगाया है. इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार जून से सितंबर तक मौसमी बारिश सामान्य से अधिक होने की उम्मीद है.हालांकि, मॉनसून मिशन क्लाइमेट फोरकास्ट सिस्टम (MMCFS) और अन्य जलवायु मॉडल के नवीनतम अनुमान मॉनसून सीजन के शुरुआती भाग में एल नीनो स्थिति को कमजोर करके एल नीनो दक्षिण दोलन स्थितियों को तटस्थ करने का सुझाव देते हैं. IMD ने बताया कि 2024 में 106% यानी 87 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है.
घट रहा है स्नो कवर का क्षेत्र
चार महीने के मानसून सीजन के लिए लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) 868.6 मिलीमीटर यानी 86.86 सेंटीमीटर होता है यानी मानसून सीजन में कुल इतनी बारिश होनी चाहिए. आईएमडी की घोषणा भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में प्रलित मध्यम अल नीनो स्थितियों के बीच आई है. एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार आईएमडी ने कहा कि पिछले तीन महीनों (जनवरी से मार्च के दौरान) उत्तरी गोलार्ध में बर्फ का आवरण सामान्य से नीचे आ रहा है .बर्फ के आवरण की सीमा में मानक से इस तरह का विचलन आगामी मॉनसून सीजन सहित मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है.