लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों पर 20 जून को चुनाव होना है. सपा से स्वामी प्रसाद मौर्य पहले मंगलवार को नामांकन करने वाले थे, लेकिन सपा के उम्मीदवारों की लिस्ट फाइनल न होने से चलते प्लान टाल दिया है. दलित नेता सुशील आनंद को समाजवादी पार्टी से एमएलसी बनाए जाने पर सस्पेंस बना हुआ है. एमएलसी चुनाव में सपा की स्थिति एक अनार सौ बिमार वाली है, जिसके चलते अभी तक उम्मीदवारों के नाम फाइनल नहीं हो सके.
यूपी में 13 MLC सीटों में से 9 पर बीजेपी का जीतना तय माना जा रहा है. वहीं, सपा को चार सीट मिलने का अनुमान है. सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम फाइनल कर दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य पहले मंगलवार को नामांकन करने वाले थे और उनके साथ पूर्व विधायक सोबरन सिंह यादव के नामांकन भरने की संभावना थी, लेकिन बाकी दो सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम अभी तक फाइनल नहीं हो सके हैं. ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य और सोबरन यादव के नामांकन को टाल दिया गया है और अब वो बुधवार को करेंगे.
विधानसभा के आंकड़ों के लिहाज से सपा को चार एमएलसी सीटें मिलनी है, जिसके लिए स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम अखिलेश यादव ने तय कर लिया है. इसके अलावा अखिलेश यादव के लिए करहल सीट छोड़ने वाले सोबरन सिंह यादव का नाम भी लगभग तय है. इसके अलावा दो सीटों के लिए अभी तक नाम तय नहीं हो सके हैं. ऐसे में सूबे के सियासी समीकरण और आजमगढ़ के उपचुनाव को देखते हुए सुशील आनंद को एमएलसी बनाए जाने की चर्चा है और सहयोगी दल के तौर पर ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर भी एमएलसी के लिए दावेदारी कर रखी है.
सपा हाईकमान की ओर से सोमवार को दो नामों को लेकर मंथन किया गया और अन्य दो के लिए प्रदेश कार्यालय पर कई नेताओं को बुलाया गया था. लेकिन पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानमंडल के संयुक्त सत्र में शामिल हुए, ऐसे में उनकी किसी नेता की मुलाकात नहीं हो पाई है. ऐसे में मंगलवार को अखिलेश यादव विधान परिषद के लिए दो सीटों पर दोबारा से विचार-विमर्श करेंगे और उसके बाद नाम फाइनल किए जाएंगे.
स्वामी प्रसाद मौर्य और सोबरन सिंह यादव के नाम तय हैं, लेकिन बाकी दो सीटों के लिए अभी तक नाम फाइनल नहीं है. ऐसे में एमएलसी बलराम यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी, पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी, पूर्व एमएलसी उदयवीर सिंह, डा. राजपाल कश्यप, सुनील साजन, सहारनपुर के पूर्व विधायक इमरान मसूद और पूर्व विधायक जासमीन अंसारी रेस में है. इनमें से किन्हीं दो नेताओं के नाम पर मुहर लगेगी.
कौन हैं सुशील आनंद?
सुशील आनंद बामसेफ के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे बलिहारी बाबू के बेटे हैं. बलिहारी बाबू लंबे समय तक बसपा में रहे. बाद में उन्होंने सपा जॉइन कर ली थी. कोरोना की महामारी के दौरान बलिहारी बाबू का निधन हो गया था. बलिहारी बाबू के निधन के बाद सुशील आनंद सियासत में सक्रिय हुए. सुशील आनंद भी सपा से जुड़े हुए हैं.
पहले आजमगढ़ उपचुनाव में टिकट मिलने की थी चर्चा
पहले सुशील आनंद को आजमगढ़ से लोकसभा उपचुनाव में टिकट मिलने की खबरें थीं. लेकिन बाद में अखिलेश यादव ने इस सीट से अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया. सूत्रों के मुताबिक, सुशील आनंद ने खुद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. सुशील आनंद ने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर कहा कि उनका दो जगह की वोटर लिस्ट में नाम है. उन्होंने वोटर लिस्ट में दो जगह नाम होने का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव नहीं लड़ना चाहता. सुशील आनंद ने सपा अध्यक्ष को लिखे पत्र में इस बात की भी जानकारी दी थी कि उन्होंने मतदाता सूची में एक जगह नाम काटने के लिए आवेदन कर रखा है लेकिन ये सुधार अभी हुआ नहीं है.