यूपी लोकसभा चुनाव के दोनों चरणों में पश्चिम की हवा को भांप नहीं सके राजनीतिक दल

Political parties could not sense the wind of the west in both the phases of UP Lok Sabha elections.
Political parties could not sense the wind of the west in both the phases of UP Lok Sabha elections.
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मेरठ। दिनभर खामोशी के बाद आखिरी घंटे में मतदाताओं ने मौन व्रत तोड़कर दूसरे चरण के चुनाव को दिलचस्प और कांटे का बना दिया। पहले चरण के मतदान में दस फीसदी तक जबकि दूसरे चरण में आठ फीसदी तक गिरावट महसूस की गई। इसी ने पश्चिम का गणित उलझा दिया है और राजनीतिक दल “कई राजनीति” को साथ लेकर चलने वाले वेस्ट यूपी की हवा को भांप नहीं पाए।

दूसरे चरण में शुक्रवार को प्रदेश की आठ सीटों पर मतदान हुआ। इसमें मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अमरोहा, मथुरा और अलीगढ़ की सीटें शामिल हैं। 2019 में अमरोहा की सीट को छोड़कर शेष सभी सीटें भाजपा ने जीती थीं। भाजपा को इस चरण में सीट बरकरार रखने की चुनौती थी। वहीं, सपा-कांग्रेस गठबंधन के सामने कुछ कर दिखाने की परीक्षा।

आखिरी घंटे में बढ़ी रफ्तार
11-12 प्रतिशत मतदान का शुभारंभ हुआ। ठीक पहले चरण की तरह। शहर की अपेक्षाकृत गांवों में तेजी दिखी। 9 से 11 बजे के बीच मतदान ने रफ्तार पकड़ी लेकिन 12 बजे से तीन बजे के बीच मतदान ढीला पड़ गया। कम मतदान से राजनीतिक दल गणित निकाल ही रहे थे कि आखिरी के एक घंटे ने मतदान का परिदृश्य ही बदल दिया। यहीं से मुकाबला दिलचस्प और कांटे का हो गया।

बागपत से बुलंदशहर तक बदला नजारा
बागपत लोकसभा की सीट मतदान में हमेशा आगे रहती थी। लेकिन इस बार बूथ खाली पड़े थे। छपरौली जैसी विधानसभा सीट पर मतदाताओं की कतार नहीं थी। यही हाल बड़ौत और बागपत में भी देखने को मिला। बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्र में यही हाल था। वहां भी बूथों पर पुराना उत्साह देखने को नहीं मिला।

मेरठ में पर्दे के राम का रण
मेरठ-हापुड़ लोकसभा क्षेत्र में शाम तक मुसलिम क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत काफी गिरा हुआ था। इससे भाजपा अपने को सुरक्षित समझने लगी लेकिन मतदान के आखिरी घंटे में मुसलिम मतदाताओं ने मतदान करके सीट को उलझा दिया। मेरठ से रामायण धारावाहिक के राम यानी अरुण गोविल भाजपा प्रत्याशी हैं।

खत्म हुई मुददों की महाभारत
पहले और दूसरे चरण में तीन बड़े मुद्दे थे-दलित+मुसलिम समीकरण, मुसलिम मत किस ओर जाएंगे और दोनों गठबंधन ( एनडीए और इंडिया) क्या हवा बनाएंगे। भाजपा के साथ दोस्ती करने के बाद रालोद की बड़ी परीक्षा बिजनौर और बागपत में है। भाजपा के सामने 2019 में खोयी चार सीटों ( अमरोहा, नगीना, सहारनपुर, बिजनौर) को पाने की चुनौती थी। सियासी हलकों की मानें तो मतदान के बाद भी चुनौती बनी हुई है।

पहला चरण-अंतर्विरोध से उतार-चढाव तक
पहला चरण ( सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर, नगीना) कई उतार-चढ़ाव वाला रहा। क्षत्रियों के विरोध का कितना किसको नुकसान हुआ, इसका गणित अभी भी लगाया जा रहा है। किसान राजनीति से लेकर टिकट बदलने का दौर भी इसी चरण में चला। दोनों चरण निबटने के बाद भी पहला चरण फंसा हुआ माना जा रहा है। पक्ष-विपक्ष दोनों ही इस पर अपना दावा ठोक रहा है।

दूसरे चरण में कोई मुद्दा नहीं
पहले चरण से इतर दूसरे चरण में कोई मुद्दा नहीं था। मुद्दा था तो बस यह कि रालोद की चौधराहट क्या बागपत में लौटेगी? क्या पर्दे के राम को मेरठ में सफलता मिलेगी ? दूसरे चरण में अधिकांश दलों ने नये चेहरों पर दांव खेला। बसपा ने भी सोशल इंजीनियरिंग के सहारे चुनाव लड़ा। फिलहाल, दोनों चरणों में मतदाताओं ने फैसला सुना दिया है। पश्चिम की हवा को भांपने में राजनीतिक दल परेशान दिखे। इसका एक कारण यह भी रहा कि इस बार जातीय और क्षेत्रीय मुद्दे हावी थे। फिलहाल, पुराना ध्रुवीकरण नहीं दिखा।

दोनों चरणों में दिखे नये पक्ष
-प्रत्याशियों के चेहरे पर भी वोट
-सांसद प्रत्याशियों का जन सरोकार
-जातीय और क्षेत्रीय समीकरण
-राजनीतिक दलों का अंतर्विरोध
फर्स्ट टाइम वोटरों ने यह कहा
-तकनीकी शिक्षा को बढावा दिया जाए
-प्रत्याशी चयन में एजुकेशन अनिवार्य हो
-साइबर क्राइम पर अंकुश लगना चाहिए
-एजुकेशन और मेडिकल खर्च कम हो
(मतदान केंद्रों पर मतदाताओं से बातचीत के आधार पर)

पहला चरण(19 अप्रैल)
लोकसभा क्षेत्र मतदान प्रतिशत
सहारनपुर 66.14%
मुजफ्फरनगर 59.13%
कैराना 62.46%
बिजनौर 58.73%
नगीना 60.75%
मुरादाबाद 62.18%
रामपुर 55.85%
पीलीभीत 63.11%

दूसरा चरण(26 अप्रैल)
लोकसभा क्षेत्र मतदान प्रतिशत
मेरठ : 58.70%
बुलंदशहर : 56.41%
बागपत : 55.97/%
गाजियाबाद 49.80%
अलीगढ़ 56.62%
अमरोहा 64.54%
मथुरा 49.29%
गौतमबुद्धनगर 53.21%