मस्जिद में ब्लास्ट करने जा रहा था अमेरिकी, क्या हुआ कि बन गया मुसलमान

American was going to blast the mosque, what happened that became a Muslim
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नई दिल्ली: किसी के मन में सालों से पल रही नफरत को प्यार में बदलने के लिए शायद एक पल का समय भी काफी होता है. ऐसा ही कुछ एक अमेरिकी शख्स के साथ भी हुआ, जिसे कभी इस्लाम के नाम से भी चिढ़ थी. मस्जिद में ब्लास्ट कर सैंकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला देना चाहता था. लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि ना सिर्फ मुसलमानों को लेकर उसने अपना मन बदल दिया बल्कि इस्लाम कबूल कर खुद मुसलमान बन गया.

ये कहानी है रिचर्ड मैकिनी की जिन पर हाल ही में बनी डॉक्युमेंट्री चर्चा में है. रिचर्ड ने 25 साल यूएस मरीन फोर्स में अपनी सेवाएं दी हैं. नौकरी के दौरान मैकिनी का कई खाड़ी देशों में भी जाना हुआ, जहां मैकिनी हमेशा मुस्लिम लोगों को घातक दुश्मनों के नजरिए से देखते थे.

इतना ही नहीं, जब वो अमेरिका के इंडियाना में अपने घर वापस लौटते तो भी उनकी नफरत खत्म नहीं होती थी. मैकिनी की नफरत इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि अगर लोकल स्टोर में कोई हिजाब पहने महिला मौजूद होती थी, तो मैकिनी की पत्नी उनका रास्ता बदलवा देती थी. बाद में तो मैकिनी की नफरत का आलम ऐसा हो गया था कि पत्नी ने भी उनका साथ छोड़ दिया था.

मुस्लिमों को देखना भी मजबूरी लगती थी

डॉक्यूमेंट्री के लिए दिए इंटरव्यू में मैकिनी ने बताया गया कि इंडियाना के मुन्सी शहर में रहते हुए जब भी वे घर से बाहर जाते थे तो उन्हें मजबूरन मुस्लिम लोगों को देखना पड़ता था. मैकिनी को लगता था कि ये उनका देश और उनका शहर है, और यही सोच उन्हें उस पॉइंट तक ले गई, जब मैकिनी को लगने लगा कि अब इन लोगों को नुकसान पहुंचाना चाहिए.

नफरत की आग में जल रहे मैकिनी ने मस्जिद ( इस्लामिक सेंटर) में ब्लास्ट करने का मन बनाया. मैकिनी ने साल 2009 में शुक्रवार के दिन धमाका करने का मन बनाया, क्योंकि उस दिन काफी संख्या में लोग मस्जिद के बाहर जमा होते थे.

ब्लास्ट में कम से कम 200 लोगों को मारना चाहते थे

रिचर्ड मैकिनी ने सोच रखा था कि उनके ब्लास्ट में कम से कम 200 लोग मारे जाएंगे और घायल होंगे. हालांकि, मैकिनी ने ऐसा कुछ नहीं किया और इसके पीछे जो कारण था, वो वाकई चौंकाने वाला था.

दरअसल, सब कुछ प्लान के तहत ही जा रहा था. जब मैकिनी मस्जिद के गेट से गुजर रहे थे तो अंदर बैठे कुछ लोगों ने उन्हें बुलाया और मुलाकात की. उस समय तक भी मैकिनी को लग रहा था कि ये सभी लोग हत्यारे हैं. मैकिनी को अंदर बुलाने वाले लोगों में अफगान रिफ्यूजी डॉक्टर साबिर बहरमी, उनकी पत्नी बीबी बहरमी और एक स्थानीय जोमो विलियम्स शामिल थे.

जुबान और व्यवहार ने मैकिनी को बदल दिया

हालांकि, गजब की बात यह हुई कि जैसा मैकिनी ने सोचा था, ऐसा कुछ नहीं हुआ. वे लोग मैकिनी के साथ एक खास मेहमान की तरह पेश आए. कुछ समय में ही मैकिनी को महसूस हो गया कि ये लोग वैसे नहीं हैं, जैसी उनके मन में सोच पैदा हो गई थी.

मैकिनी इस बारे में कहते हैं कि ये सभी लोग काफी सादे और खुश मिजाज थे. वे सभी अपनी जिंदगी से खुश थे और अमेरिकी होने पर भी. साथ ही वे सभी मैकिनी के साथ बात करना काफी पसंद कर रहे थे.

इस अनुभव ने मैकिनी की सोच बदली और इसके बाद वे अक्सर मस्जिद जाने लगे. करीब आठ सप्ताह बाद उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया. जिसके बाद वे मुन्सी में इस्लामिक सेंटर के दो साल अध्यक्ष भी रहे.

मैकिनी के जीवन पर बन चुकी है शॉर्ट फिल्म
रिचर्ड मैकिनी के जीवन पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म ‘Stranger at the Gate’ भी बनाई जा चुकी है, जिसका डायरेक्शन जोशुआ सेफतेल ने किया है. बीते जून महीने में शॉर्ट फिल्म ने ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल ज्यूरी मेंशन भी जीता था. अब 14 सितंबर से इस फिल्म को फ्री में यूट्यूब पर भी देखा जा सकता है.

जोशुआ ने पहले मैकिनी की लाइफ पर बने एपिसोड The Secret Life of Muslims का डायरेक्शन किया, जिसका प्रसारण सीबीएस संडे मॉर्निंग पर हुआ था. इस शो को लाखों लोगों ने देखा, जिसके बाद जोशुआ को लगा कि इस विचार को और ज्यादा गहराई से सभी के सामने लाना चाहिए.

फिल्म के दौरान जोशुआ मैकिनी के बारे में और ज्यादा जानना चाहते थे. साथ ही वह उन लोगों को लेकर भी जिज्ञासु था, जिन्होंने सबसे पहले मैकिनी को मस्जिद के अंदर बुलाया था और दयालुता दिखाई थी.

जोशुआ इस बारे में कहते हैं कि ये लोग ही इस स्टोरी के हीरो हैं. जोशुआ ने कहा था कि उस समय उन लोगों को अंदाजा था कि कुछ गलत है और यहां तक कि वे डरे हुए भी थे, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने मैकिनी को गले लगाया. इन सबमें लोगों में एक जादुई शक्ति थी और ऐसा करना एक कला है जो आजकल गायब हो चुकी है.

मस्जिद उड़ाने के प्लान बनाने के 13 साल बाद मैकिनी आज भी मुस्लिम है. वे अब ना सिर्फ समाज सेवक बनकर काम कर रहे हैं, बल्कि अब एक एंटी हेट एक्टिविस्ट और स्पीकर भी बन गए हैं.