यूपी के 256 जाट नेताओं से अमित शाह करेंगे मुलाकात, जाटों को साधने के लिए…

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लखनऊ। पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से बड़ी जीत हासिल करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह पुराने दांव आजमा रहे हैं। बीते विधानसभा की तरह हिंदुत्व के मुद्दे को तूल देने के लिए शाह ने पहले कैराना में रोडशो के जरिए चुनाव प्रचार की शुरुआत की। कैराना के बाद अब शाह पहले की तरह ही एक बार फिर से जाट बिरादरी को मनाने की मुहिम चलाने वाले हैं। इस कड़ी में शाह बुधवार को इस बिरादरी के 253 नेताओं के साथ बैठक करेंगे।

गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में जाट आरक्षण आंदोलन भाजपा के लिए सिरदर्द बनी थी, जबकि इस बार किसान आंदोलन पार्टी के लिए सिरदर्द बनी है। तब हरियाणा में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे और राज्य की भाजपा सरकार के रुख से यह बिरादरी बेहद खफा थी। तब शाह ने ठीक चुनाव से पहले तत्कालीन केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के घर पर इन्हीं जाट नेताओं के साथ तीन घंटे की मैराथन बैठक की थी। इस बार संभवत: केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के निवास पर यह बैठक आयोजित की जाएगी।

तब जाटों को साधने में कामयाब रहे थे शाह
मुजफ्फरनगर दंगे के कारण साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जाटों के समर्थक की बदौलत इस क्षेत्र में भाजपा ने विपक्ष का करीब करीब सूपड़ा साफ कर दिया था। हालांकि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग, मुकदमे और मुजफ्फरनगर दंगा मामले में बिरादरी के लोगों को राहत नहीं मिलने से जाट नाराज थे। हालांकि शाह के साथ बैठक के बाद यह बिरादरी एक बार फिर से भाजपा के समर्थन में आ गई। अब यही बिरादरी किसान आंदोलन के कारण नाराज है।

प्रचार खत्म होने तक डालेंगे डेरा
राज्य में चुनावी रणनीति की कमान संभालने के बाद शाह ने पश्चिम यूपी में जीत हासिल करने का पुराना फाॅर्मूला अपनाया है। उनकी योजना प्रथम चरण के चुनाव प्रचार समाप्त होने तक इस क्षेत्र में डेरा डालने की है। कैराना और मेरठ से चुनाव प्रचार की शुरुआत कर चुके शाह अब गणतंत्र दिवस के अगले दिन नोएडा और मथुरा में डेरा डालेंगे। उनकी योजना पहले की तरह जाट बिरादरी को साधने और हिंदुत्व को मुख्य मुद्दा बनाने की है।

जाट क्यों हैं भाजपा के लिए अहम
भाजपा को कैराना लोकसभा के बीते दो और विधानसभा के एक चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिली थी। जीत का मुख्य कारण मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट और मुसलमानों के बीच बनी दूरी थी। दोनों बिरादरी की संयुक्त की इस क्षेत्र में मतदाताओं में हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है। इस क्षेत्र के 17 फीसदी वोटर जाट हैं। इस क्षेत्र के 26 में से 18 जिलोंं में यह बिरादरी बेहद प्रभावशाली है।

भाजपा है बेहद सतर्क
वेस्ट यूपी से जुड़े एक केंद्रीय मंत्री के मुताबिक कृषि कानूनों की वापसी के बाद जाट बिरादरी की नाराजगी मेंं कमी आई है। पार्टी चाहती है कि नाराज चल रहे वर्ग को भी हर हाल में साधा जाए। चूंकि इस बार सपा ने रालोद से समझौता किया है। इसलिए पार्टी बेहद सतर्क है।