उत्तराखंड में चीन बॉर्डर की तीनों घाटियों का बुरा हाल, 75 दिनों से कटा है संपर्क

Bad condition of all three valleys of China border in Uttarakhand, contact has been cut for 75 days
Bad condition of all three valleys of China border in Uttarakhand, contact has been cut for 75 days
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पिथौरागढ़. चाइना बॉर्डर को जोड़ने वाली तीनों घाटियों का शेष दुनिया से सम्पर्क लम्बे समय से कटा हुआ है. हालात ये हैं कि दारमा घाटी को जोड़ने वाली रोड ढाई महीने से बंद है जबकि ब्यास और चौंदास घाटियों का भी बुरा हाल है. अब चिंता की बात ये है कि इन घाटियों में रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीज़ें भी खत्म होने लगीं हैं और नागरिकों के लिए सप्लाई तकरीबन ठप है. हज़ारों की आबादी बेहद मुश्किल स्थितियों में फंसी हुई है और बदतर हाल उनकी है, जो इन कठिन हालात में बीमारी की चपेट में हैं. यही नहीं, बॉर्डर की सुरक्षा पर तैनात जवानों को भी सप्लाई प्रभावित होने के चलते अब दिक्कतें पेश आ रही हैं.

बीते 16 जून को आई आसमानी आफत ने दारमा और चौंदास घाटी को जोड़ने वाली रोड तबाह कर डाली थी. बॉर्डर की इस अहम रोड पर दर्जनों जगह इतना भारी लैंडस्लाइड हुआ कि उसे हटाना भी आसान नहीं था. कई स्थानों पर बैली ब्रिज भी बरसात की भेंट चढ़ गए हैं. कुछ ऐसा ही हाल ब्यास घाटी का भी है. ब्यास घाटी से होकर ही लिपुलेख बॉर्डर की रोड निकलती है. लेकिन इस बरसात ने बीआरओ की इस रोड की पोल खोल दी. यहां भी एक नहीं, दर्जनों स्पॉट ऐसे हैं, जहां पूरी रोड ही बारिश ने निगल ली.

तीनों घाटियों की बंद सड़कें सामरिक नज़रिये से भी अहम हैं. इन्हीं सड़कों से बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बल भी सीमाओं की सुरक्षा के लिए जाते हैं. दारमा घाटी के रहने वाले जयेन्द्र फिरमाल बताते हैं कि पूरी घाटी के लोग खासी दिक्कतों में हैं. धारचूला से लोग अपने गांव लौटना चाहते हैं, लेकिन रोड और पैदल रास्तों का नामोनिशां तक नहीं है.

कैसे संकट से जूझ रहे हैं लोग?
रोड बंद होने से तीनों घाटियों के 90 से अधिक गांवों का शेष दुनिया से सम्पर्क कटा है. कई गांवों के तो हालात इस कदर खराब हैं कि गांव की छोटी दुकानों में जो बचा-खुचा सामान है, उसकी कीमत कई गुना बढ़ गई है. सबसे अधिक संकट में वो लोग हैं, जो बीमारी की चपेट में हैं. कहने को तो सरकार ने बॉर्डर की तीनों घाटियों के लिए एक हेलीकॉप्टर भी दिया है लेकिन हजारों की आबादी के लिए वो नाकाफी ही साबित हो रहा है.

एडीएम फिंचाराम चौहान का कहना है कि सड़कों को खोलने के लिए बीआरओ, पीडब्ल्यूडी और सीपीडब्ल्यूडी तीनों एंजेंसियां युद्ध स्तर पर काम कर रही हैं लेकिन तबाही इतनी ज्यादा हुई है कि कम समय में सड़कों को खोल पाना आसान नही है. इस साल की बरसात ने सबसे ज्यादा तांडव बॉर्डर के इलाकों में मचाया है. अधिकारियों और स्थानीय लोगों की बातों से अंदेशा यही है कि तीनों घाटियों को जोड़ने वाली अवरुद्ध सड़कों के जल्द खुल पाने के आसार नहीं हैं.