मरने के बाद आत्मा कहां जाती है, क्या आपको पता है इसका जवाब?

Do you know the answer to where does the soul go after death?
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Fourth Dimension of Life: प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान में संतों और योगियों ने जीवन के चौथे आयाम (Fourth Dimension) की बात की है. चौथे आयाम को समझने से पहले आपको उन तीन आयामों के बारे में जानना जरूरी है, जिन्हें बुद्धि, विवेक और भौतिकी (Physics) के नियमों के हिसाब से लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई के दायरे में सिमटा एक क्षेत्र मान लिया जाता है. वहीं मानव जीवन की बात करें तो अक्सर लोग इसे भूतकाल की समझ, भविष्य की जानकारी या मृत्यु के बाद क्या होता है जैसे सवालों की चर्चा या लोक-परलोक की बातों को भी चौथे आयाम से जोड़ लेते हैं.

क्या है चौथा आयाम?

दरअसल भौतिक जीवन में लोग एक बार में एक आयाम या हद से हद दो आयाम ही देख सकते हैं. तीसरा डायमेंशन तो वैसे ही करोड़ों लोगों की समझ से परे होता है. ऐसे में इस चौथे आयाम की कल्पना करना या उसे फील करना सामान्य मनुष्यों के लिए टेक्निकली असंभव होता है.

संत का जवाब

चौथा आयाम क्या होता है. कहां होता है. क्यों होता है? ऐसी कई जटिल मुश्किलों का समाधान महान संत और करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक देवरहा बाबा ने विस्तार से समझाया है. भक्तों के चमत्कारी और पूज्यनीय संत देवरहा बाबा के मुताबिक, ‘विज्ञान ने इस रहस्य को भी सुलझाने का प्रयास किया कि वर्तमान, भूत और भविष्य क्या है? माना जाना चाहिए कि जो घटना एक बार हुई, वह अमर हो गई. उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता. भूतकाल की घटना को हमेशा देखा जा सकता है. यह कुछ वैसा है जिस तरह बड़ी-बड़ी दूरबीनों की सहायता से वैज्ञानिक तारों की हर मूवमेंट और गतिविधियों को देखा और समझा गया जो हजारों साल पहले थीं.

देवरहा बाबा की पुस्तक ‘देव ज्योति’ में वह कहते हैं, ‘योगी जब चित्त की वृत्तियों को अपने काबू में कर लेता है, तो वह चौथी विमा (आयाम) वाले संसार में प्रवेश करता है. इस शक्ति के बल पर वह सांसारिक मानव की दृष्टि से अदृश्य या इनविज़िबल हो जाता है.’

मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है?

योगियों ने इस सवाल का जवाब बिल्कुल साधारण शब्दों में दिया है. उनके मुताबिक आत्मा संसार के तीन स्तरों को तोड़कर चौथे स्तर में विराजमान होती है. अवश्य ही तीसरे स्तर का चौथे स्तर से कोई संपर्क रहता है, जैसे चक्के के अंदर चक्का. विज्ञान से हम यह जान लेते हैं कि हमारे शरीर के अणुकोश लगातार सक्रिय रहते हैं, लेकिन हम इस गति को महसूस नहीं कर सकते. स्वामी विवेकानंद के गुरू भाई अभेदानंद के मुताबिक, ‘मन को जब इंद्रियों और सांसारिक चीज़ों से अलग कर स्थिर भाव से बैठा जाए तो चतुर्थ स्तर की अचंचल अवस्था को महसूस किया जा सकता है.’

किसके पास है शक्ति?

इस हिसाब से चौथे आयाम को वह योगी समझ सकता है जिसके पास भूतकाल और भविष्य में क्या होने वाला है इसे समझने की शक्ति हो. यानी एक योगी जब अपने अंतरमन को मस्तिष्क से अलग कर उसे अचेतन और परम शक्ति की चेतना से जोड़ता है और इस तरह तीन आयाम वाली दुनिया का इंसान चार आयाम वाले संसार में एंट्री ले सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर चार आयाम वाला कोई संसार है, तो उसमें पूरी मानवता के साथ भूत और वर्तमान का हर घटनाक्रम देखा जा सकता है.