राजस्थान में बाढ़, बिहार-यूपी पानी को तरसे… बदल रहा मॉनसून का पैटर्न?

Floods in Rajasthan, Bihar-UP water craving... changing monsoon pattern?
Floods in Rajasthan, Bihar-UP water craving... changing monsoon pattern?
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश भीग रहा है. ज्यादातर जिलों में तीन दिन से बारिश हो रही है. राजधानी भोपाल में हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि बड़ा तालाब लबालब भर गया है. तालाब में खड़ी बोट हिलोरे मार रहीं हैं. राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही है. ज्यादातर डैम और नदी-तालाब भर चुके हैं. यहां इतनी बारिश हो गई है कि अगले साल पानी नहीं भी बरसा तो भी सूखे की नौबत नहीं आएगी.

लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत कई राज्य ऐसे हैं जो पानी के लिए तरस रहे हैं. यहां के किसानों को अपनी फसल खराब होने का डर सता रहा है. उत्तर प्रदेश के 75 में से 64 यानी 85% जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से भी कम बारिश हुई है. मॉनसून अपना पैटर्न किस तरह से बदल रहा है, इसे इस तरह से समझिए कि एक ओर तो मध्य प्रदेश भीग रहा है, लेकिन उससे सटा उत्तर प्रदेश पानी को तरस रहा है. तमिलनाडु में सामान्य से ज्यादा बारिश हो चुकी है, लेकिन उससे सटे केरल में अब भी उतना पानी नहीं बरसा, जितना बरसना चाहिए था.

कई राज्यों में जमकर मेहरबान हैं बादल
भारत में जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर मॉनसून का सीजन होता है. इसे साउथ वेस्ट मॉनसून कहते हैं. भारत की सालभर की बारिश की लगभग 75% जरूरत साउथ वेस्ट मॉनसून से ही पूरी होती है. इसलिए ये चार महीने बारिश के लिहाज से काफी अहम होते हैं. लेकिन, इन चार महीनों में कुछ राज्य तो ऐसे हैं जिनपर बादल जमकर मेहरबान हो रहे हैं. बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों इतनी तेज बारिश हुई कि बाढ़ और लैंडस्लाइड से 32 लोगों की मौत हो गई. मौसम विभाग के मुताबिक, अब तक हिमाचल में सामान्य बारिश ही हुई है. लेकिन कम समय में ज्यादा बारिश होने से प्राकृतिक घटनाएं बढ़ गईं हैं.

मध्य प्रदेश के भी ज्यादातर जिलों में तीन दिन से लगातार पानी गिर रहा है. राजधानी भोपाल में दो दिन से स्कूलों की छुट्टी की जा रही है. डैम भर चुके हैं और नदी-तालाब उफान पर हैं. भारी बारिश की वजह से न फोन के नेटवर्क काम कर रहे हैं और न ही बिजली आ रही है. राहत बचाव के लिए वायुसेना के 2 हेलिकॉप्टर भी लगाए गए हैं. राजस्थान में भी भारी बारिश हो रही है. कोटा, झालावार, बूंदी और बारन के कुछ इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई. शहर से लेकर गांव तक पानी में डूब चुके हैं. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचा रहीं हैं. अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है.

अधिकारियों ने बताया कि 20 अगस्त तक राजस्थान के 716 डैम में कैपेसिटी का 76% पानी भर चुका है. पिछले साल इतनी तारीख तक 57% पानी ही भर सका था. अधिकारियों का कहना है कि इस साल इतना पानी बरस चुका है कि अगले साल पानी की किल्लत ही नहीं होगी. इस साल 23 अगस्त तक राजस्थान में सामान्य से 51% ज्यादा पानी बरस चुका है. यहां का कोई भी जिला सूखा नहीं है.

ओडिशा में भी कुछ दिन पहले आई बाढ़ से अब तक राहत नहीं मिली है. नदियों का स्तर कम हो रहा है, लेकिन अब भी 902 गांव के साढ़े 6 लोग प्रभावित हैं. अधिकारियों का कहना है कि राज्य की लगभग सभी नदियां खतरे के निशान से नीचे बह रहीं हैं. मौसम विभाग के मुताबिक, 23 अगस्त तक राजधानी दिल्ली समेत कई राज्य अब भी ऐसे हैं जहां अब तक उतनी बारिश भी नहीं हुई है, जितनी होनी चाहिए थी. इनमें दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मणिपुर और नागालैंड हैं. ये वो राज्य हैं जहां सामान्य से 60% तक कम पानी बरसा है.

राजधानी दिल्ली में अब तक सामान्य से 26% कम बारिश हुई है. वहीं, उत्तर प्रदेश के 75 में से 64 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है. सिर्फ 11 राज्य ही ऐसे हैं जहां सामान्य बारिश हुई है. अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में बारिश इस कमी को पूरा कर देगी, लेकिन किसानों को अपनी फसलों के खराब होने का डर सता रहा है.

धान की खेती करने वाले किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. यूपी के जौनपुर जिले में अब तक सिर्फ 123.2 मिमी पानी बरसा है, जबकि अब तक 471.5 मिमी पानी बरस जाना चाहिए था. जौनपुर में धान की खेती करने वाले किसान भगत पाल ने न्यूज एजेंसी से कहा, ‘हमारी फसल खराब हो रही है. बारिश बाद में क्या कर लेगी.’ सीतापुर में धान की फसल उगाने वाले किसान मोहन चंद वर्मा ने न्यूज एजेंसी से कहा, ‘हमारे खेत के पास की नहर सूख रही है. हमारे पास धान उगाने के लिए डीजल का भुगतान करने के भी पैसे नहीं है. अब बारिश से ही उम्मीद है, लेकिन भगवान हमसे नाराज लगते हैं. हमें अपनी फसल को मरते देखने के लिए छोड़ दिया गया है.’

यही हाल बिहार और झारखंड का भी है. झारखंड के 24 में से 22 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से कम बारिश हुई है. सिर्फ दो जिले पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम ही ऐसे हैं, जहां सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. बिहार में भी 38 में से 4 जिलों में ही सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. बाकी सारे जिलों में हालात खराब हैं. पश्चिम बंगाल के भी 23 में से 5 जिलों में ही सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है.ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भारत में मॉनसून का पैटर्न तेजी से बदल रहा है. सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनियाभर में ऐसा हो रहा है.

सालों पहले तक ऐसा होता था कि चार महीनों तक बारिश होती थी, लेकिन अब कुछ समय भारी बारिश होती है और फिर बंद हो जाती है. कम समय में जरूरत से ज्यादा बारिश होने से बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं.मौसम विभाग ने 1989 से 2018 तक के साउथ वेस्ट मॉनसून के डेटा का एनालिसिस कर मार्च 2020 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि देश के कई राज्यों में मॉनसून का पैटर्न बदल रहा है. इन 30 सालों में (1989 से 2018) उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मेघालय और नागालैंड में साउथ वेस्ट मॉनसून में भारी कमी देखी गई है. इन पांच राज्यों के अलावा अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी मॉनसून में कमी आई है. इनके अलावा देश के कई जिलों में भी 30 सालों में मॉनसून में कमी आई है.

इतना ही नहीं, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की भी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 1951 से 2015 तक जून से सितंबर में होने वाली बारिश में 6% की कमी आई है. रिपोर्ट में बताया गया था कि मानवजनित एरोसोल के कारण ग्रीन हाउस गैसों का तापमान बढ़ रहा है, जिस कारण बारिश में गिरावट आ रही है. इसी साल अगस्त में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि 1950 से 2015 के बीच भारी बारिश के कारण हर दिन होने वाली चरम घटनाओं में 75% की बढ़ोतरी हुई है. ये बताता है कि कम समय में ज्यादा बारिश की घटनाएं कितनी तेजी से बढ़ रही हैं.

फिर भी सूखा बढ़ रहा…!
या तो बारिश ही कम हो रही है, या फिर कम समय में ज्यादा बारिश हो रही है, दोनों ही कारणों से सूखा बढ़ रहा है. 1951 से 2016 के बीच हर दशक में औसतन 2 से ज्यादा बार सूखे का अनुभव हुआ है. इसी दौरान सूखे से प्रभावित इलाकों में भी हर दशक 1.3% की बढ़ोतरी हुई है. बारिश कैसे कम होती जा रही है? इसे ऐसे भी समझिए. मौसम विभाग के मुताबिक, 1961 से 2010 के बीच हर साल औसतन 1176.9 मिमी बारिश हुई थी. वहीं, 1971 से 2020 के बीच 1160.1 मिमी बारिश हुई. बारिश कम होने की वजह से अब सामान्य बारिश को मापने का स्तर भी कम हो गया है. पहले साउथ वेस्ट मॉनसून सीजन में 880.6 मिमी बारिश को सामान्य माना जाता था. लेकिन अब 868.6 मिमी बारिश को सामान्य माना जाता है.