G20 समिट के लिए भारत आए विदेशी मेहमानों के सम्मान में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार को डिनर होस्ट किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और उनके लाइफ पार्टनर्स को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मिलवाया। डिनर के मेन्यू में शरद ऋतु की झलक दिखाई गई है। इसे भारत की परंपरा, रीति-रिवाज और विविधता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया। इसमें कश्मीरी कहवा, दार्जिलिंग की चाय, मुंबई पाव, अंजीर-आडू मुरब्बा समेत देशभर की कई मशहूर डिश को शामिल किया गया है।
देसी अंदाज में दिखे विदेशी मेहमान
G20 समिट के लिए आए सभी राष्ट्राध्यक्षों और मेहमानों के लिए शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने डिनर होस्ट किया। इस दौरान कई मेहमान भारतीय परिधान में नजर आए। वहीं, खाने में भी भारतीय परंपरा की झलक नजर आई।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगनाथ की पत्नी कबिता रामडानी भी साड़ी में नजर आईं।
इसके अलावा इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की पत्नी पारंपरिक भारतीय कुर्ते में नजर आईं।
जापान के पीएम फुमियो किशिदा की पत्नी ने बनारसी साड़ी पहन रखी थी।
बांग्लादेश की PM शेख हसीना हमेशा की तरह परंपरागत साड़ी में नजर आईं।
इसी तरह ब्रिटेन के पीएम ऋृषि सुनक की पत्नी अक्षता ने लहंगा पहन रखा था जो काफी यूनिक था।
डिनर के मेन्यू में पान भी
– डिनर के मैन्यू को भी वसुधैव कुटुंबकम: एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना को समर्पित किया गया है।
– भारत में शरद ऋतु उत्सव हो रहा है। इसी कारण मैन्यू में इस ऋतु की प्रचुरता दिखी है। स्टार्टर में दही के गोले और भारतीय मसालेदार चटनी से सजे कंगनी श्रीअन्न लीफ क्रिस्प्स पेश किए गए।
– मेन कोर्स में ग्लेज्ड फॉरेस्ट मशरूम, कुटकी श्रीअन्न क्रिस्प और करी पत्ते के साथ तैयार केरल लाल चावल के साथ कटहल गैलेट परोसा गया।
– भारतीय रोटियों में मुंबई के पाव को रखा गया। बाकरखानी यानी इलायची के स्वाद वाली मीठी रोटी मेहमानों के लिए रखी गई थीं।
– मीठे के खाने को मधुरिमा स्वर्ण कलश नाम दिया गया। इसमें इलायची की खुशबू वाला सांवा का हलवा, अंजीर आड़ू का मुरब्बा और अंबेमोहर राइस क्रिस्प्स पेश किया गया था।
– पेय पदार्थ में कश्मीरा कहवा, फिल्टर कॉफी और दार्जिलिंग की चाय थी। आखिर में पान के स्वाद वाली चॉकलेट लीव्स को पेश किया गया।
नालंदा विश्वविद्यालय को किया प्रोजेक्ट
विदेशी मेहमानों का स्वागत राष्ट्रपति के डिनर में नालंदा विश्वविद्यालय के बैकग्राउंड के सामने किया गया। नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल हैं। यह दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक था। आधुनिक बिहार में पड़ने वाला यह महाविहार 5वीं सदी से 12वीं सदी के बीच अस्तित्व में था। इसकी विरासत महावीर और बुद्ध के युग से चली आ रही है। इसकी विविधता, योग्यता, विचार की स्वतंत्रता, सामूहिक शासन, स्वायत्तता और ज्ञान साझा करना लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के अनुरूप है।