सेक्स टेप मामले में प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ ग्लोबल लुकआउट नोटिस, गिरफ्तारी की भी तलवार लटकी

Global lookout notice issued against Prajwal Revanna in sex tape case, arrest also in danger
Global lookout notice issued against Prajwal Revanna in sex tape case, arrest also in danger
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बेंगलुरु। कर्नाटक (Karnataka) में जेडी (एस) के लोकसभा उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना (Prajwal Revanna) से जुड़े अश्लील वीडियो मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) ने उसके खिलाफ गुरुवार को लुकआउट नोटिस जारी किया. यह नोटिस दुनिया भर के सभी इमिग्रेशन प्वाइंट्स पर जारी किया गया है. इस बीच सूबे के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने संकेत दिया है कि अगर प्रज्वल और उसके पिता एचडी रेवन्ना, गुलबर्गा में पूछताछ के लिए एसआईटी के सामने पेश नहीं हुए, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

पीड़ितों के बयान दर्ज करेगी SIT

मामले में पीड़ित और उनके परिवार अगर अपने बयान दर्ज करवाने के लिए आते हैं, तो एसआईटी उनको सुरक्षा प्रदान करेगी. एसआईटी किसी भी पीड़ित पर दबाव नहीं बनाएगी, अगर वे खुद से आगे आते हैं, तो बयान दर्ज किया जाएगा. गृह मंत्री जी पर्मेश्वर का कहना है कि प्रज्वल के खिलाफ 2 महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई है.

प्रज्वल रेवन्ना पर सैकड़ों महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप है. मामले से जुड़े कथित वीडियोज सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए. प्रज्वल ने मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल के सामने पेश होने के लिए सात दिन का समय मांगा है. प्रज्वल ने जांच टीम को बताया कि वह बेंगलुरु से बाहर है. प्रज्वल और उसके पिता डीडी रेवन्ना को पूछताछ के लिए एसआईटी के सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया था.

प्रज्वल रेवन्ना के ‘अश्लील वीडियो’ मामले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता डॉ. वीरप्पा मोइली कहते हैं, “वह घोटालेबाज है और एक राजनेता के रूप में हम प्रज्वल रेवन्ना पर शर्मिंदा हैं. वह इस देश में सबसे ज्यादा सजा का हकदार है. नारा है ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, मुझे लगता है कि पीएम मोदी को बेहद शर्म से अपना सिर नीचे कर लेना चाहिए.”

क्या होता है लुकआउट नोटिस, जारी होने पर किस तरह के प्रतिबंध लगते हैं?

लुकआउट सर्कुलर (LOC) या लुक आउट नोटिस एक सर्कुलर लेटर है, जिसका इस्तेमाल आव्रजन यानी इमिग्रेशन अधिकारियों द्वारा किसी आरोपी व्यक्ति को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए किया जाता है. इस तरह का नोटिस CBI और ED जैसी देश की एजेंसियों द्वारा किसी व्यक्ति के देश में प्रवेश से रोकने या देश से बाहर जाने से पाबंदी लगाने और निगरानी करने के लिए भी जारी किया जा सकता है. मूल दिशा निर्देश गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा जारी किए जाते हैं.

किसी देश के अधिकारियों के पास किसी भी फरार अपराधी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर है, तो फरार व्यक्ति को अधिकारी द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है. जिसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया जाता है, अगर वह देश से बाहर जाने की कोशिश कर रहा है, तो उसे सरकारी अधिकारी एयरपोर्ट या बंदरगाह पर पकड़ सकते हैं.

लुकआउट सर्कुलर से जुड़े गृह मंत्रलाय के निर्देश…

लुक आउट नोटिस को जारी करने का अधिकार भारत सरकार में उपसचिव, प्रदेश स्तर पर ज्वाइंट सेक्रेटरी और जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक को है. इनसे नीचे के अधिकारी इसे जारी नहीं कर सकते हैं.

किसी भी भारतीय व्यक्ति के खिलाफ सभी इमिग्रेशन चेक पोस्ट के लिए लुकआउट नोटिस केवल गृह मंत्रालय द्वारा तैयार प्रारूप में जारी किया जा सकता है.

लुकआउट नोटिस जारी करने वाली एजेंसी को पहले से निर्धारित प्रारूप में आरोपी व्यक्ति की पूरी पहचान की डीटेल्स देनी होगी. उनकी पूरी पहचान की जानकारी देनी होगी. इसी के साथ उस व्यक्ति के नाम को छोड़कर कम से कम 3 अन्य पहचान चिन्ह भी बताने होंगे.

आम तौर पर लुकआउट नोटिस 1 साल तक वैध रहता है. हालांकि अगर एजेंसी आरोपी व्यक्ति के खिलाफ नोटिस की अवधि को बढ़ाना चाहती है, तो वह एक साल पूरा होने से पहले ऐसा कर सकती है.

साल 2011 से यह नियम बन गया है कि अगर एक साल के अंदर लुक आउट नोटिस की समय सीमा नहीं बढ़ाई जाती है, तो लुक आउट नोटिस को रद्द कर दिया जाए.