पुतिन ने कैसे बिगाड़ा यूरोप का खेल? जर्मनी में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन

How did Putin spoil the game of Europe? Protests started in Germany
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म्यूनिख: Ukraine conflict: यूक्रेन युद्ध को एक साल होने वाला है। यूक्रेन में भारी तबाही का असर अन्य यूरोपीय देशों में भी देखने को मिल रहा है। महंगाई चरम पर है। तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऊर्जा संकट से निपटने के लिए यूरोपीय देश अब अन्य उपायों की ओर जा रहे हैं। हालांकि इनकी वजह से जर्मनी में विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं। पश्चिमी जर्मनी का एक छोटा सा गांव लुत्जरथ (Lützerath) कोयला खदान के चलते तबाह होने की कगार पर है। रविवार (15 जनवरी) को स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग सहित कई कार्यकर्ताओं ने यहां विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद पुलिस ने उन्हें वहां से खदेड़ा। 1,100 से अधिक पुलिस कर्मी इन जलवायु कार्यकर्ताओं को हटाने में लगे थे। प्रदर्शन 11 जनवरी को शुरू हुए थे। हजारों प्रदर्शनकारियों ने लुत्जरथ के आस-पास के इलाकों में जाकर विरोध किया था। वे गार्जवीलर कोयला खदान के विस्तार के सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

कोयले का इस्तेमाल बढ़ाने पर जुटे यूरोपीय देश

एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, पर्यावरणविदों का मानना है कि कोयला खदान के विस्तार से भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होगा। वहीं जर्मन सरकार ने कहा है कि उसे देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोयले की आवश्यकता है। सरकार का कहना है कि “यूक्रेन में युद्ध के कारण रूसी गैस की आपूर्ति में कटौती की गई है। इससे देश की ऊर्जा जरूरत खस्ता हाल में है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से, न केवल जर्मनी, बल्कि कई अन्य देश, विशेष रूप से यूरोपीय देश, ऊर्जा संकट का सामना कर रहे हैं। इससे कोयले की मांग में वृद्धि हुई है। कोयले को सबसे सस्ते लेकिन सबसे गंदे ईंधनों में से एक माना जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने पिछले साल दिसंबर में प्रकाशित अपनी वार्षिक कोयला रिपोर्ट में कहा था कि “वैश्विक कोयले के इस्तेमाल में 2022 में 1.2% की वृद्धि होगी। पहली बार एक ही वर्ष में कोयले का इस्तेमाल 8 बिलियन टन को पार कर गया और 2013 में स्थापित पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।” रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने अपनी प्राकृतिक गैस की सप्लाई में भारी कटौती की है जिससे पूरा यूरोप खासा प्रभावित हुआ है। दरअसल अमेरिका के नेतृत्व में यूरोपीय देशों ने यूक्रेन युद्ध के लिए रूस पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों के जवाब में पुतिन ने यूरोपीय देशों को गैस की सप्लाई में भारी कटौत की। अब इसका असर यह हुआ है कि जर्मनी जैसे देश लगातार दूसरे वर्ष अपने कोयले की खपत में वृद्धि करने जा रहे हैं। कोयले की खपत में वृद्धि की ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कई यूरोपीय देशों ने अपने बंद पड़े कोयला संयंत्रों को फिर से खोलने की योजना की घोषणा की है। इन देशों ने कोयले का उत्पादन बढ़ाने या कोयला संयंत्रों को बंद करने की योजना में देरी की घोषणा की है। हैरान करने वाली बात ये है कि इन देशों ने ग्लासगो संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन 2021 में अपने कोयला उत्पादन को घटाने की शपथ ली थी। लेकिन पुतिन के युद्ध के चलते यूरोपीय देशों का खेल बिगड़ गया।

पिछले हफ्ते, यूनाइटेड किंगडम ने घोषणा की थी कि उसके नॉटिंघमशायर ‘कोयला जलाने वाला बिजली संयंत्र’ का एक हिस्सा अगले दो साल तक खुला रहेगा। यह वही संयत्र है जिसे ब्रिटिश सरकार 2022 तक बंद करने वाली थी। लेकिन ‘ऊर्जा संकट’ के डर से मंत्रियों ने इसे जारी रखने का फैसला किया है। इतना ही नहीं, पिछले साल दिसंबर में, यूके ने कुम्ब्रिया में 30 वर्षों में देश में अपनी पहली नई कोयला खदान खोलने की घोषणा की थी। हालांकि, सरकार ने कहा कि कोयले का इस्तेमाल स्टील के उत्पादन के लिए किया जाएगा, बिजली के लिए नहीं। इस बीच, इटली ने भी 2025 तक छह कोयला संयंत्रों को निष्क्रिय करने की अपनी योजना में देरी करने का फैसला किया है। देश की योजना “मौजूदा कोयले से चलने वाले और तेल से चलने वाले बिजली संयंत्रों से उत्पादन बढ़ाने” की है।

इसके अलावा, कुछ देशों ने अपने हाल ही में बंद कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को दोबारा शुरू किया है। उनमें से एक फ्रांस है, जिसने नवंबर 2022 में सेंट-एवोल्ड में स्थित अपने कोयला संयंत्र को फिर से शुरू किया। एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्लांट का कोयला उत्पादन पहले 2022 की शुरुआत में बंद कर दिया गया था। सबसे हैरान करने वाला फैसला पोलैंड का था। यूक्रेन के पड़ोसी पोलैंड ने रूस से अपनी प्राकृतिक गैस और कोयले की खरीद को रोकने की घोषणा की थी। लेकिन इसके साथ ही इसने, पिछले साल सितंबर में आपूर्ति संकट को कम करने के लिए एक ऐसा फैसला लिया जिसने सभी को चौंका दिया। इसने अप्रैल 2023 तक घरों को गर्म करने के लिए “लिग्नाइट” के इस्तेमाल से बैन हटा लिया था। “लिग्नाइट” कोयले का सबसे प्रदूषणकारी प्रकार है। पोलैंड यूरोपीय संघ में सबसे बड़े कोयला उत्पादकों में से एक है। फोर्ब्स ने बताया ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जर्मनी ने भी इसी तरह का कदम उठाया है। सितंबर 2022 में, जर्मन सरकार ने न केवल अपने तीन परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को जारी रखने की घोषणा की, बल्कि लिग्नाइट जलाने वाले पांच बिजली संयंत्रों को फिर से खोलने की भी घोषणा की थी।