मुजफ्फरनगर में एकतरफा चुनाव से आखिरी टाइम तक बदले सारे समीकरण-क्लिक करके जानें कैसे

In Muzaffarnagar, all the equations changed due to one-sided election till the last moment - click to know how
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मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. 19 अप्रैल को मतदान है लेकिन कैंडिडेट दिन रात लोगों के बीच और गांव-गांव घूम रहे हैं, कहीं नाराज लोगों को मनाने का काम चल रहा है तो कहीं दूसरे की वोट बैंक में सेंधमारी का. संजीव बालियान और संगीत सोम के बीच कर तल्ख रिश्ता सामान्य होता नहीं दिख रहा ऐसे में मुजफ्फरनगर में पिछले दो चुनाव से आमने-सामने रहा चुनाव इस बार त्रिकोणीय चुनाव की शक्ल ले रहा है. इस बार RLD के गांव और मजबूत हो रहे हैं. क्योंकि जयंत चौधरी के साथ आ जाने के बाद अब जाटों के बीच कोई कंफ्यूजन नहीं है और जाटों के वोट पिछले चुनाव में आधे आधे बंट गए थे. वह इस बार संजीव बालियान के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं.

मायावती ने इस बार मुजफ्फरनगर में दारा सिंह प्रजापति को उम्मीदवार बना दिया है और दारा सिंह प्रजापति बीजेपी की ओबीसी वोट में जबरदस्त सेंधमारी करते दिख रहे हैं. यह प्रजापति वोट प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर पिछले दो चुनाव से उनका सबसे कमिटेड वोटर रहा है, लेकिन मजबूत प्रजापति के चेहरे को मायावती ने उतारा तो तकरीबन डेढ़ लाख की आबादी वाली यह बिरादरी बसपा के साथ खड़ी होती दिख रही. दलित वोट इस बार मजबूती से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मायावती के साथ खड़ा है ऐसे में मुस्लिम वोटर फिलहाल तय नहीं कर पा रहा क्या वह बसपा के साथ अपनी ताकत मिलाय या नहीं, हालांकि मुजफ्फरनगर में मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी के हरेंद्र मलिक के साथ मजबूती से खड़ा है.

बीएसपी के उम्मीदवार कह रहे हैं कि उनके वोटरों की नाराजगी मोदी से नहीं है बल्कि संजीव बालियान से है और जिसका फायदा उन्हें मिल रहा है. अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर में अपनी सभा कर हरेंद्र मलिक को जिताने की अपील की, अखिलेश की सभा में भी भारी भीड़ जुटी थी. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है इस समाजवादी पार्टी इस बार संजीव बालियान को कड़ी चुनौती दे रही है.

हालांकि संजीव बालियान अपने लिए चुनौती इस नहीं मानते उन्हें लगता है की जयंत चौधरी के साथ आ जाने के बाद एक बड़ा वोट बैंक उनके साथ जुड़ गया है जो उन्हें निर्णायक बढ़त दिलाएगा. लेकिन संगीत सोम के साथ मुख्यमंत्री की मध्यस्थता करने के बावजूद रिश्तो की तल्ख़ी कम होने का नाम नहीं ले रही. संजीव बालियान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दोनों को साथ बिताया दोनों से बात की बावजूद इसके अगर कोई नाराज है तो कुछ नहीं किया जा सकता.

संजीव बालियान और संगीत सोम के मतभेद अब भी बरकरार

समीकरण के लिहाज से देखा जाए तो इस बार संजीव बालियान के लिए कुछ प्लस है तो कुछ माइनस, प्लस ये कि इस बार 18 फ़ीसदी जाटों का बहुत बड़ा हिस्सा संजीव बालियान को मिलेगा, लेकिन एक बड़ा प्रजापति बिरादरी का वोट कटता हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं दलित वोटों का जो एक बड़ा हिस्सा संजीव बालियान को पिछली बार मिला था. वह वोट फिर से मायावती के साथ दिख रहा है. राजपूत वोटो की नाराजगी है लेकिन माना जा रहा है कि आखिर में मोदी- योगी के नाम पर बीजेपी के साथ आ जाएगा. कुल मिलाकर इस बार संजीव बालियान के लिए यह लड़ाई इसलिए भी थोड़ी मुश्किल में है क्योंकि संजीव बालियान का यह तीसरा चुनाव है और दो बार के सांसद रहने के बाद स्थानीय anti incumbency का असर दिखाई दे जा सकता है.