India Partition Tragedy: धर्म परिवर्तन के लिए नहीं झुके चाचा, परिवार के 35 सदस्यों समेत कुएं में कूदी थी जान

India Partition Tragedy: Uncle did not bow down to change religion, including 35 family members had jumped into the well
India Partition Tragedy: Uncle did not bow down to change religion, including 35 family members had jumped into the well
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कैथल। कैथल में रह रहे 98 वर्षीय बहादुर चंद मदान की आंखों के सामने भारत विभाजन त्रासदी मंजर तरोताजा है। उन्‍होंने बताया कि जब मारकाट हुई तो मेरी उम्र 22 से 23 साल थी। आज भी वह मंजर सोच कर आंखों में आंसू निकल जाते हैं।

चाचा धर्म बदलने को कहा

कुछ दरिंदे हमारे घर पर आए और चाचा कर्मचंद को धर्म बदलने के लिए कहने लगे। चाचा ने मना किया तो मारने-पीटने की धमकी दी। चाचा धर्म परिवर्तन करना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने दोनों पैरों को बांध कर कुएं में छलांग लगा कर अपनी जान दे दी।

परिवार के सब लोग कूद गए

यह देख चाचा का पूरा परिवार चाचा के भाई, बहन, बच्चे सहित करीब 35 लोगों ने भी कुएं में कूद कर अपनी जान गवां दी। जब दरिंदे वहां से चले गए तो आसपड़ोस के लोगों ने मिल कर यहां उनके साथ कुछ मुस्लिम परिवार भी रहते थे। सभी ने मिल कर शवों को कुएं से बाहर निकाला और एक साथ अंतिम संस्कार किया। जब वह आठ से नौ साल का था तो पिता रामदिता मल की मौत हो गई थी। मां सरस्वती देवी ने भी हम सभी को संभाला।

मारकाट में बुर्का पहना मुस्लिमों ने ही बचाया

पिता की मौत के बाद मां ने ही उन्हें संभाला। रिश्तेदारों ने मिल कर एक गुरुद्वारा बनाया। यहां मां आसपड़ोस के बच्चों को पंजाबी भाषा पढ़ाती थी। जो कुछ पैसा एकत्रित होता था उससे ही घर चलता था। वे पाकिस्तान के जिला जंग गांव डोसा में रहते थे। मारकाट के समय कुछ लोग वहां आए और हिंदुओं को चुन-चुन कर मारने लगे। उनके पड़ोस में कुछ मुस्लिम ऐसे थे जिनके साथ काफी प्यार-प्रेम था। उन्होंने बुर्का पहनाते हुए उन्हें कई दिनों तक घरों छिपा कर रखा। इसके बाद उन्हें थाना अटारी में छोड़ दिया गया। यहां सैनिकों के आने पर वे लाहौर गए। वहां 10 से 12 दिनों तक रखे। एक कालेज में उन्हें ठहराया गया। कालेज के गेट उखाड़ कर लकड़ी जलाते हुए खाना पकाया।

जेवरात देकर लड़कियों को छुड़ाया

भारत आने के लिए गाड़ी में आए तो कुछ बदमाश वहां पहुंच गए और लड़कियों को उठाने लगे तो उसकी मां सहित गाड़ी में सवार अन्य महिलाओं ने अपनी कानों की बाली सहित जेवरात देकर उन को छ़ुड़वाया। अपना सब कुछ वहां छोड़ कर वे खाली हाथ पंजाब के जिला अमृतसर पहुंचे।

दिहाड़ी मजदूरी करने पाला मां ने

मां के साथ हम चारों भाई-बहन बहादुर चंद मदान, हरभगवान मदान उम्र 95 साल, चौधरी लाल मदान उम्र 83 साल व बहन विधावती 86 साल थे। अमृतसर आने के बाद मां सहित चारों ने दिहाड़ी-मजदूरी कर पालन-पोषण किया। यहां चीनी की खाली बोरी बेचने का काम किया। इसके बाद रोहतक पहुंचे। यहां किसानों के खेतों में गेहूं कटाई का काम किया। उस समय 20 भार काटने के बाद एक बार मजदूरों को मिलता था। वहां से बरसोला आ गए। यहां कपड़े का काम शुरू किया। चार-पांच साल वहां रहने के बाद मामा अटल राम कैथल ले आए। यहां शुरुआत में कुल्फी बेचने का काम किया। इसके बाद 22 रुपये में 250 गज जगह ली और मकान बनाया। इसके बाद यहीं पर अपना कारोबार शुरू कर परिवार का पालन-पोषण किया।