दिसंबर 2023 तक युद्ध नहीं कर सकेगा INS विक्रांत:लड़ाकू विमानों के उड़ान और लैंडिंग का ट्रायल बाकी, मिग-29 ने भी बढ़ाई टेंशन

INS Vikrant will not be able to fight till December 2023: Flight and landing trials of fighter planes are pending, MiG-29 also increased tension
INS Vikrant will not be able to fight till December 2023: Flight and landing trials of fighter planes are pending, MiG-29 also increased tension
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देश में बना पहला एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत नौसेना में शामिल हो गया है। 2 सितंबर को कोच्चि शिपयार्ड में हुए एक भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे नौसेना में कमिशन किया। कई खूबियों से लैस INS विक्रांत के रूप में नेवी को देश में बना अपना सबसे बड़ा युद्धपोत मिल गया है, लेकिन ये युद्ध के लिए तैयार करीब 15 महीने बाद, यानी 2023 के अंत तक हो पाएगा।

इस एक्सप्लेनर में जानते हैं कि आखिर क्यों नेवी में शामिल होने के बाद भी अभी युद्ध के लिए तैयार नहीं है INS विक्रांत, क्या हैं INS विक्रांत को खास बनाने वाली बातें?

पहली वजह: INS विक्रांत पर फाइटर प्लेन की लैंडिंग का ट्रायल शुरू नहीं हो सका है

INS विक्रांत को लेकर 25 अगस्त को नेवी के वाइस चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि नेवी MiG-29K फाइटर प्लेन की विक्रांत पर लैंडिंग का ट्रायल इस साल नवंबर में शुरू करेगी।

ये ट्रायल 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। इसलिए INS विक्रांत पूरी तरह ऑपरेशनल 2023 के अंत तक ही हो पाएगा। हालांकि घोरमडे ने इसके बारे में और ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया।

नेवी ने पहले क्यों नहीं किया विक्रांत पर फाइटर प्लेन का ट्रायल?
हाल ही में अपने एक आधिकारिक बयान में भारतीय नेवी ने कहा था कि वह एयरक्राफ्ट कैरियर्स को बनाने के लिए विकसित देशों के नियमों का ही पालन कर रही है। 2 सितंबर को आधिकारिक तौर पर विक्रांत के नेवी में शामिल होने के बाद ही उसके फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट और उसकी एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स यानी AFC सुविधाओं की शुरुआत होगी।

नेवी ने कहा था कि इसे तभी शुरू किया जाएगा, जब शिप के कमांड और कंट्रोल के साथ ही फ्लाइट सेफ्टी उसके हाथों में होगी।

दूसरी वजह: रूस- यूक्रेन युद्ध
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले कई महीनों में INS विक्रांत का एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स यानी AFC पूरी तरह से रूसी इंजीनियरों और टेक्नीशियन की मदद से स्थापित किया जाएगा। इन इंजीनियरों के भारत में आने में यूक्रेन पर हमले की वजह से रूस पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण देरी हो सकती है।

विक्रांत के साथ एक और समस्या ये है कि इसके एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स यानी AFC को मिग-29 फाइटर प्लेन के लिहाज से तैयार किया गया था।

मिग रूस में बने फाइटर प्लेन हैं, जो हाल के वर्षों में अपने क्रैश को लेकर चर्चा में रहे हैं। इसीलिए नेवी अगले कुछ सालों में अपने बेड़े से मिग विमानों को पूरी तरह से हटाने जा रही है।

मिग फाइटर प्लेन में टेक्निकल दिक्कतों से बढ़ी मुश्किलें
इंडियन नेवी ने 2009 से 2017 के दौरान रूस से करीब 2 अरब डॉलर यानी करीब 16 हजार करोड़ रुपए में 45 मिग-29 फाइटर प्लेन खरीदे थे। पिछले कुछ सालों में मिग ऑपरेशनल मामले में बेअसर साबित हुए हैं।

इन फाइटर प्लेन के टर्बोफैन इंजन में भी बंद हो जाने की समस्या देखी गई। वहीं जहाज के डेक पर लैंडिंग के बाद इन फाइटर प्लेन के कुछ ऑनबोर्ड कॉम्पोनेंट्स को नुकसान पहुंचा, जिससे उसमें रिपेयरिंग की जरूरत पड़ी।

मिग की जगह राफेल, F-18 और तेजस होंगे विक्रांत पर तैनात
INS विक्रांत के AFC को भी INS विक्रमादित्य की तरह ही रूसी मिग-29 फाइटर प्लेन के ऑपरेशन के लिए बनाया गया था। मिग में आ रही दिक्कतों से इंडियन नेवी को ये अहसास हो गया कि मिग की जगह उन्हें या तो राफेल या F-18 फाइटर प्लेन को लाने की जरूरत है।

नेवी ने हाल ही में कहा था कि हालांकि विक्रांत को मिग-29 के लिहाज से डिजाइन किया गया था, लेकिन वह इसकी जगह बेहतर डेक-बेस्ड फाइटर प्लेन की तलाश कर रही है। इसके लिए फ्रांस के राफेल और अमेरिका के बोइंग F-18 ‘सुपर हॉर्नेट’ फाइटर प्लेन की खरीद के लिए भी बातचीत चल रही है। ये दोनों फाइटर प्लेन गोवा में INS हंसा पर इंडियन नेवी की तट-आधारित टेस्ट फैसिलिटी यानी STBF में फ्लाइट ट्रायल पूरा कर चुके हैं है। INS हंसा पर भी कैरियर फ्लाइट डेक की सुविधा उपलब्ध है।

विक्रांत पर तैनाती के लिए नेवी जल्द ही 26 डेक-बेस्ड फाइटर प्लेन खरीदने के लिए बातचीत कर रही है। इसके लिए राफेल और F-18 फाइटर प्लेन को बनाने वाले देशों फ्रांस और अमेरिका के बीच कड़ी टक्कर है। इन 26 फाइटर प्लेन में से 8 ट्विन-सीट ट्रेनर्स भी होंगे।

आने वाले सालों में नेवी की योजना तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के नेवल वर्जन को विक्रांत पर तैनात करने की है। तेजस देश में बन रहा ट्विन-इंजन डेक-बेस्ड फाइटर प्लेन है। हालांकि, DRDO द्वारा डेवलप किए जा रहे तेजस को तैयार होने में अभी 5-7 साल का वक्त लगेगा। इसके 2030-2032 तक नेवी को मिल पाने की संभावना है।

अब INS विक्रांत की खासियत भी जान लीजिए

देश में बना सबसे बड़ा युद्धपोत INS विक्रांत, 1600 क्रू, 30 विमान हो सकते हैं तैनात
INS विक्रांत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड यानी CSL ने किया है। इसे वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है, जिसे पहले नौसेना डिजाइन निदेशालय के रूप में जाना जाता था। ये भारतीय नेवी का इन-हाउस डिजाइन संगठन है।

45 हजार टन वजनी INS विक्रांत भारत में बना सबसे बड़ा वॉरशिप है। ये INS विक्रमादित्य के बाद देश का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर है। विक्रमादित्य को रूसी प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया था।

INS विक्रांत के साथ भारत दुनिया के उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन करने और उसे बनाने में सक्षम हैं। इसमें फ्यूल के 250 टैंकर और 2400 कंपार्टमेंट्स हैं। इस पर एक बार में 1600 क्रू मेंबर्स और 30 विमान तैनात हो सकते हैं।