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नई दिल्ली: इधर ग्रेजुएशन कंपलीट हो और उधर लाखों के पैकेज वाली नौकरी मिल जाए, तो जिंदगी में और क्या चाहिए। ज्यादातर युवाओं के लिए कंपटीशन से भरे आज के दौर में नौकरी का मिल जाना ही बहुत बड़ी बात है, उसपर अगर पैकेज मोटा हो तो फिर क्या ही कहने। लेकिन, विशाखा यादव वो नाम हैं, जिन्होंने अपनी एक ऐसी ही नौकरी को त्याग दिया, जहां उन्हें बेहतरीन सैलरी मिल रही थी। सॉफ्टवेयर डेवलपर की इस नौकरी में उनके पास पैसा, सम्मान और सुकून… सबकुछ था। फिर भी उनका मन नहीं लगा और उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
दरअसल, विशाखा ने फैसला लिया कि वो आईएएस बनेंगी और अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने नौकरी को अलविदा कह दिया। हालांकि, लगातार दो साल तक उन्हें नाकामयाबी का सामना करना पड़ा। पहले प्रयास में वो प्री परीक्षा भी नहीं निकाल पाईं और उनके अंदर कुछ निराशा पैदा हुई। विशाखा ने दोबारा से खुद को मजबूत किया और एक बार फिर यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन इस बार भी नाकामयाबी ही हाथ लगी। उनसे जुड़े कुछ लोगों ने कहना भी शुरू कर दिया कि विशाखा ने नौकरी छोड़कर गलती कर दी।
आखिरकार एएसआई की बेटी बन गई आईएएस
इसके बावजूद विशाखा ने हार नहीं मानी और एक बार फिर परीक्षा में बैठीं। और, इस बार वो हुआ, जो किसी ने सोचा तक नहीं था। विशाखा ने अपनी तीन साल की कड़ी मेहनत से आखिरकार मंजिल को हासिल कर दिखाया। उन्होंने यूपीएससी में ऑल इंडिया रैंक-6 हासिल कर इतिहास रच दिया। विशाखा ने उन तमाम लोगों को भी जवाब दे दिया, जो नौकरी छोड़ने के उनके फैसले पर सवाल उठा रहे थे। दिल्ली में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर की ये बेटी अब आईएएस अधिकारी बन चुकी है।
डीटीयू से हासिल की थी इंजीनियरिंग की डिग्री
विशाखा यादव ने कामयाबी की ये कहानी यूं ही नहीं लिखी।दिल्ली के द्वारका इलाके में रहने वालीं विशाखा के पिता राजकुमार यादव पुलिस विभाग में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर हैं, जबकि मां एक गृहणी। 1994 में जन्मीं विशाखा ने 12वीं के बाद दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था और 2014 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इंजीनियरिंग करने के बाद विशाखा को बेंगलुरू की सिस्को सिस्टम्स कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर अच्छी-खासी सैलरी मिल रही थी। लेकिन, मन में कहीं ना कहीं एक टीस थी कि उनकी मंजिल कुछ और है।
मां को दिया विशाखा ने कामयाबी का क्रेडिट
फिर एक दिन उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। विशाखा ने दिन में लगातार कई-कई घंटे पढ़ाई की। पुराने प्रश्न पत्रों को हल किया। वो पास की लाइब्रेरी में सबकुछ भूलकर केवल किताबों में खो जातीं। इसके साथ ही वो सुडोकू भी हल करतीं। विशाखा की तैयारी में उनकी मां ने भरपूर साथ दिया। साल 2019 में जब यूपीएससी का रिजल्ट आया तो विशाखा ने अपनी कामयाबी का पूरा क्रेडिट अपनी मां को दिया।