नई दिल्ली. 15 राज्य. 300 अधिकारी. 93 स्थान और 106 गिरफ्तारियां.पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी के नेतृत्व में कई एजेंसियों के छापेमारी की धूल थमने के साथ ही पीएफआई पर प्रतिबंध को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. लोग पूछ रहे हैं कि यह प्रतिबंध आखिर कब तक लगाया जाएगा?
सूत्रों ने कहा कि एनआईए पहले गिरफ्तार किए गए पीएफआई के शीर्ष 45 नेताओं में से 45 से पूछताछ करेगी. एनआईए की जिला स्तर और स्थानीय नेताओं तक पहुंचने की योजना है जो वरिष्ठ पदाधिकारियों के संपर्क में थे. एक वरिष्ठ अधिकारी, जो ऑपरेशन का हिस्सा हैं उन्होंने 18 को बताया कि सरकार अपने सभी मॉड्यूल को तोड़ने, सबूत इकट्ठा करने और गवाहों को इकट्ठा करने के बाद पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानूनी राय लेगी. सूत्रों ने कहा कि सरकार को बिना ठोस और प्रत्यक्ष सबूत के पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की कोई जल्दी नहीं है, जो अदालत में अटका हुआ है. एनआईए अभी के लिए जब्ती और जमीनी स्तर के नेटवर्क पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि ईडी फंडिंग के मामलों को जांच रही है.
ईडी जांच रही टेरर फंडिंग के लिंक
प्रवर्तन निदेशालय को पीएफआई की फंडिंग की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों ने पहले ही साफ कर दिया है कि पीएफआई के कैडर और नेताओं को अवैध धन मिल रहा था और वे भारत में प्रतिबंधित संगठनों को बढ़ावा देने में शामिल थे. एक बैठक के दौरान जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को व्यापक छापे पर जानकारी दी गई. एनआईए के शीर्ष अधिकारियों ने कार्रवाई की अगली पंक्ति पर भी चर्चा की.
जांच एजेंसियों के रडार पर है पीएफआई नेताओं का नेटवर्क
सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसियों का अगला कदम पीएफआई नेताओं के नेटवर्क को जमीनी स्तर तक मैप करना और फंडिंग के रास्ते का पता लगाना होगा. एक बार जब उनके सभी सहानुभूति रखने वाले हिरासत में हो जाते हैं, तो संगठन पर प्रतिबंध लगाने पर कानून व्यवस्था की कोई समस्या नहीं होगी.