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रायपुर: छत्तीसगढ़ की पहली राजनीति हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. हाईकोर्ट ने 27 आरोपियों को उम्र कैद की सजा के फैसले को सही ठहराया है. इन 27 के अलावा एक अन्य आरोपी बुलठू पाठक की मौत भी हो चुकी है. गौरतलब है कि 21 वर्ष पहले 4 जून 2003 को एनसीपी के कोषाध्यक्ष रामअवतार जग्गी की गोली मारकर हत्या की गई थी. उसके बाद उनके बेटे सतीश जग्गी ने मौदहापारा थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. इस मामले में निचली अदालत ने 31 मई 2007 को कुछ आरोपियों को बरी करते हुए शेष आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने उस फैसले को बरकरार रखा है. अब शूटर चिमन सिह, याहया ढेबर, तत्कालिक सीएपी अमरिंदर गिल,आरसी त्रिवेदी, व्हीके पाण्डेय, अभय गोयल सहित 27 लोगों को उम्र कैद की सजा दी गई है.
गौरतलब है कि इस मामले की सीबीआई जांच हुई थी. एनसीपी नेता रामअवतार जग्गी की हत्या के मामले में सीबीआई ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को भी मुख्य आरोपी बनाया था. हालांकि, सेशन कोर्ट ने 31 मई 2007 को अमित जोगी को बरी कर दिया, जबकि 28 लोगों को सजा सुनाई थी. सूत्र बताते हैं कि इस मामले के एक आरोपी यहिया ढेबर के भाई अनवर ढेबर ने उस वक्त कहा था कि उसका भाई बेगुनाह है. उसने एक जज के बेटे का स्टिंग ऑपरेशन करने का दावा भी किया था. अनवर ढेबर स्टिंग ऑपरेशन की सीडी को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के पास भी गए थे. इसके बाद सिंह ने मामले की जांच का आश्वासन दिया था.
अमित जोगी के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा- सतीश
उस वक्त मृतक रामअवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अजीत जोगी पर गंभीर आरोप लगाया था. सतीश जग्गी ने News18 से खास बातचीत में कहा कि मेरा संघर्ष इस मामले में जारी रहेगा की अमित जोगी को कड़ी सजा मिले. जिसे मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया था उसे छोड़ दिया. इससे सवाल तो खड़ा होता है. यह कैसे हो सकता कि मुख्य आरोपी बरी हो जाए और सहअभियुक्तों को सजा मिले. मैंने अपने और परिवार के लिए सरकार से सुरक्षा की मांग की है.