अभी अभीः रूस के बाद चीन ने की हमले की तैयारी? ताइवान में घुसे 9 लड़ाकू विमान

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China ready to attack Taiwan: एक तरफ रूस ने यूक्रेन (Russia-Ukraine Crisis) पर चढ़ाई कर दी है, वहीं चीन के तेवर भी आक्रामक दिख रहे हैं। उसके 9 विमानों ने ताइवान (Chinese Aircraft in Taiwan) के एयर ड‍िफेंस जोन (Air Defence Zone) में घुसपैठ की है। यह पहला मौका नहीं है जब चीन ने ऐसा किया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी। यूक्रेन पर रूस के हमले वाले दिन यह घटना सामने आई है। ताइवान ने इस बारे में श‍िकायत की है। इसके पहले पि‍छले साल नवंबर में चीन के 27 लड़ाकू विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की थी। गुस्साए ताइवान ने इसके बाद इन घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए अपने लड़ाकू विमानों को भेजा था।

ताइवान पर चीन अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है। पिछले दो सालों में चीनी वायु सेना ने लगातार ऐसे मिशन को अंजाम दिया है। इनकी शिकायत ताइवान करता रहा है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि घुसपैठ के ताजा मामले में आठ चीनी जे -16 लड़ाकू और एक वाई -8 टोही विमान शामिल थे। इन्‍होंने दक्षिण चीन सागर के शीर्ष छोर पर ताइवान के नियंत्रण वाले प्रतास द्वीप समूह के उत्तर-पूर्व में उड़ान भरी थी।

ताइवान के लड़ाकू विमानों को चीनी विमानों को चेतावनी देने के लिए इनके पीछे भेजा गया था। इसके अलावा हवाई रक्षा मिसाइलों को गतिविधियों की निगरानी के लिए तैनात किया गया है। ताइवान यूक्रेन संकट पर करीब से नजर रख रहा है। उसे आशंका है कि चीन द्वीप पर चढ़ाई करने के लिए स्थितियों का फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है। वैसे उसने चीनी बलों की ओर से किसी भी असामान्य गतिविधि की सूचना नहीं दी है। लेकिन, सरकार ने अपने स्तर पर सतर्कता बढ़ा दी है।

नेक नहीं चीन के इरादे
प‍िछले साल नवंबर में ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि चीन के 27 विमानों ने उसके एयर डिफेंस बफर जोन में प्रवेश किया। चीन की इस हरकत का जवाब देते हुए उसने भी अपने लड़ाकू विमानों को रवाना कर चीनी विमानों को चेतावनी दी। मंत्रालय ने बताया था कि हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वालों में 18 लड़ाकू विमान, पांच एच-6 बमवर्षक विमान और ईंधन भरने वाला एक वाई-20 शामिल था।

पुरानी है रंजिश
शीत युद्ध के शुरुआती चरण में अमेरिका और चीन के बीच दक्षिणी चीन सागर में स्थित दो द्वीपों के लेकर विवाद हो गया था। 1955 और 1958 में इन दो द्वीपों को लेकर तनाव इतना बढ़ गया था कि अमेरिका और चीन युद्ध करने को तैयार थे। क्यूमोय और मात्सु नाम के ये दोनों द्वीप चीन के काफी नजदीक हैं, लेकिन इन पर नियंत्रण ताइवान का है।

1955 में तो चीन ने ताइवान नियंत्रित इन द्वीपों पर कब्जे को लेकर भारी बमबारी की थी। इसके जवाब में अमेरिका ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देकर चीन को पीछे ढकेला था। उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति ड्वाइट डेविड आइजनहावर इस बात को लेकर परेशान थे कि अगर इन द्वीपों पर चीन का कब्जा हुआ तो यह ताइवान का मनोबल तोड़ने जैसा होगा। इतना ही नहीं अमेरिका को यह भी डर था कि यह ताइवान में चियांग काई शेक के शासन के पतन का कारण बन सकता है।

क्‍या है ताइवान की कहानी?
1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाले कॉमिंगतांग सरकार का तख्तापलट कर दिया था। इसके बाद चियांग काई शेक ने ताइवान द्वीप में जाकर अपनी सरकार का गठन किया। उस समय कम्यूनिस्ट पार्टी के पास मजबूत नौसेना नहीं थी। इसलिए उन्होंने समुद्र पार कर इस द्वीप पर अधिकार नहीं किया। तब से ताइवान खुद को रिपब्लिक ऑफ चाइना मानता है।