खट्टर सरकार ने की करनाल में मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल, धरने पर डटे किसान

Khattar government restored mobile internet service in Karnal, farmers on dharna
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चंडीगढ़: हरियाणा के करनाल में मोबाइल इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया गया है। किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान सोशल मीडिया के जरिए अराजकता को न फैलने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने करनाल समेत पांच जिलों में इंटरनेट सेवा ठप कर दी थी। हालांकि बाकी जिलों में पहले ही इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया गया था। वहीं करनाल में शुक्रवार को प्रशासन ने इंटरनेट सेवा शुरू कर दी।  उधर, किसानों के समर्थन में वकील भी उतर आए हैं।

सहायक जिला पीआरओ रघुबीर सिंह ने कहा कि अभी तक सेवाओं को फिर से निलंबित करने की कोई योजना नहीं है। बता दें कि करनाल में किसान लघु सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे हैं। लाठीचार्ज के दोषी अधिकारियों व करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं लेकिन प्रशासन पहले जांच कराने की बात कह रहा है।

दो दिन का अल्टीमेटम फिर तेज होगा किसान आंदोलन
किसानों ने प्रशासन को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। किसान नेताओं ने कहा कि मांगें पूरी न हुई तो 11 सितंबर को करनाल में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक कर आंदोलन तेज करने का फैसला लिया जाएगा। इस पर हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि एसडीएम ही नहीं, पूरे लाठीचार्ज घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच कराने के लिए तैयार हैं लेकिन अधिकारी हो, किसान या किसान नेता दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उधर, धरनास्थल पर किसान नेताओं ने अफसरों के साथ बुधवार को हुई वार्ता के सभी बिंदु किसानों के समक्ष रखे। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सुरेश कौथ ने कहा कि अफसरों ने कई बिंदुओं पर नरमी बरती थी लेकिन मांगों पर कोई स्पष्ट फैसला नहीं लिया जा रहा। कौथ ने कहा कि एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ केस दर्ज कर न्यायिक जांच शुरू हो जाती है तो करनाल से पड़ाव उठ सकता है। लाठीचार्ज में शामिल अफसर और पुलिस कर्मियों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी पड़ेगी। सरकार मृतक किसान के आश्रितों को मुआवजा नहीं भी देगी तो किसान स्वयं मिलकर इस पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद करेंगे।

किसी के कहने से किसी को फांसी पर नहीं चढ़ा सकते: अनिल विज
विज ने कहा कि आंदोलन करना किसानों का प्रजातांत्रिक अधिकार है लेकिन जायज मांगें ही मानी जाएंगी। किसी के कहने से किसी को फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता। देश का आईपीसी अलग और किसानों का आईपीसी अलग हो, ऐसा नहीं हो सकता। सजा दोष के अनुरूप दी जाती है। दोष पता करने के लिए जांच करानी पड़ती है और हम इसकी जांच निष्पक्ष तौर पर कराने के लिए तैयार हैं।