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नई दिल्ली. जंतर मंतर इन दिनों देश के लिए पदक लाने वाले पहलवानों का अखाड़ा बना हुआ है. ये पहलवान भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अड़े हुए हैं. महिला पहलवानों का आरोप है कि बृजभूषण सिंह ने उऩके साथ यौन दुर्व्यवहार किया था. इसको लेकर दिल्ली पुलिस ने एक एफआईआर भी दर्ज कर ली थी. पहलवानों की लड़ाई से शुरू हुआ यह मामला अब राजनीतिक दंगल में बदल चुका है. जहां रोज नया दल, नए संगठन पहलवानों के समर्थन में जुट रहे हैं. एक तरफ इस पूरे मामले को एक राजनीतिक पैंतरे की तरह देखा जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ 19 दिन से धरने पर बैठे हुए पहलवानों की मांग को लेकर अदालत की कार्यवाही भी अपनी गति से चल रही है. इसी के चलते बुधवार यानी 10 मई को दिल्ली पुलिस ने नाबालिग महिला का बयान अदालत में दर्ज कराया. सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज किया गया. बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवाया गया.
क्या कहती है सीआरपीसी की धारा 164
दंड प्रक्रिया संहिता (code of criminal procedure 1973) की धारा 164 के तहत स्वीकृति और कथनों को अभिलिखित किया जाता है, यानी इकबालिया बयान दर्ज करना. बयान दर्ज करने का मकसद साक्ष्य को संरक्षित करना है. पहली बार में गवाह की, गवाही का लेखा-जोखा लेना होता है. इस धारा के तहत बयान दर्ज करने के लिए आवेदन आमतौर पर अभियोजन पक्ष दायर करता है.
मजिस्ट्रेट को बयान दर्ज करने के पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि बयान देने वाला स्वेच्छा से बयान दे रहा है और उस पर किसी बात का कोई दबाव नहीं है. सीआरपीसी की धारा 164 के तहत गवाह का बयान एक सार्वजनिक दस्तावेज होता है जिसमें किसी तरह की औपचारिक प्रमाण की ज़रूरत नहीं होती है. केवल एक न्यायिक मजिस्ट्रेट या मेट्रोपोलेटिन मजिस्ट्रेट के पास ही संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने की शक्ति होती है.
23 अप्रैल से बैठे हैं पहलवान धरने पर
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने 23 अप्रैल को जंतर मंतर पर धरना शुरू किया था. महिला पहलवानों का आरोप है कि बृजभूषण ने उनका यौन उत्पीड़न किया है, वह 19 दिन से उनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हुए हैं.