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गुरुग्राम: करीब साढ़े चार साल के इंतजार के बाद आखिर प्रदेश सरकार में गुड़गांव को भागीदारी मिल ही गई। सोहना से 2019 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने संजय सिंह को नायब सिंह सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया है। इसके पीछे बड़ी वजह राजपूत बिरादरी को प्रतिनिधित्व देना रहा। उनके पिता प्रदेश सरकार में रेवेन्यू मिनिस्टर रहे हैं। प्रदेश भर में राजपूत बिरादरी में उनकी एक मजबूत पैठ थी। वह एक दबंग नेता के रूप में जाने जाते थे। मंत्रीमंडल विस्तार में राजपूत बिरादरी से पृथला से निर्दलीय नयनपाल और सोहना से संजय सिंह की चर्चा सुबह से मंत्रीमंडल में शामिल होने को लेकर थी।
इससे पहले मनोहर सरकार में बादशाहपुर सीट से राव नरबीर सिंह 2014 में पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर रहे हैं। गुड़गांव सीट से निर्दलीय विधायक रहे सुखबीर कटारिया को कांग्रेस सरकार में खेल राज्य मंत्री बनाया गया था। अब सोहना से बीजेपी की सीट पर विधायक संजय सिंह को नायब मंत्रीमंडल में जगह दी गई है। संजय सिंह के पिता कुंवर सूजरपाल सिंह 1996 में प्रदेश सरकार में रेवेन्यू मिनिस्टर रहे हैं। संजय सिंह को राजनीतिक विरासत अपने पिता से ही मिली। उनके पिता और फिर मां मेवात के गांव उजीना की सरपंच रही हैं।
नूंह हिंसा के दैरान भी चर्चा में रहे
2019 में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में संजय सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी जेजेपी के रोहताश खटाना को 12 हजार 453 वोटों से हराया था। उन्हें 59 हजार 117 वोट मिले। जो डाले गए कुल वोट का 36 फीसदी से अधिक रहा। संजय सिंह ने 1997 में एमडीयू से कला स्नातक की उपाधी हासिल की। नूंह हिंसा के दैरान भी संजय सिंह चर्चा में रहे। उन्हें इस दौरान धमकी भी मिली थी। वह किसान परिवार से आते हैं।
इससे पहले भी संजय सिंह 2009 और 2014 में नूंह विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन दोनों बार उन्हें शिकस्त मिली। प्रदेश सरकार में जाट, वैश्य, पंजाबी, यादव और एसई कैटेगरी को प्रतिनिधित्व विस्तार के दौरान मिला है। इससे पहले भी मनोहर सरकार के पहले और दूसरे मंत्रीमंडल विस्तार में संजय सिंह के लिए केंद्रीय मंत्रियों ने भी पैरवी की थी, लेकिन वह मंत्री नहीं बन पाए।