पुरानी कारें, फ्रिज, वॉशिंग मशीन…कबाड़ से इकॉनमी बचाने में जुटा चीन, जानिए प्लान

Old cars, refrigerators, washing machines... China is busy saving the economy from junk, know what is Jinping's new plan.
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China Economic Crisis: चीन की गिरती इकोनॉमी का हाल किसी से छिपा नहीं है. कोविड के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है. रियल एस्टेट की खस्ताहालत ने चीन के बैंकिंग सेक्टर को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है. बेरोगजारी, गिरता निर्यात, घटती जीडीपी और अमेरिका समेत पड़ोसी देशों के साथ तनाव ने चीन की अर्थव्यवस्था पर दवाब डालना शुरू कर दिया है. इस दवाब को कम करने के लिए चीन ने अब नया फॉर्मूला निकाला है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन की इकोनॉमी को संभालने के लिए नया प्लान तैयार किया है. अब जिनपिंग पुरानी कारें, पुराने फ्रिज, वॉशिंग मशीन से अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की तैयारी में हैं.

पुरानी कार, फ्रिज, वॉशिंग मशीन…का क्या करेगा चीन
अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए चीन अब पुरानी कारें, फ्रिज, वॉशिंग मशीनों को खोजने में लगा है. ड्रैगन औद्योगिक और घरेलू उपकरणों के स्टॉक को अपग्रेड करने, पुरानी मशीनों, कारों, अप्लायंस को वापस लेने पर जोर दे रहा है. इन पुरानी चीजों से वो चीन के उपभोक्ताओं के खर्च को बढ़ावा देने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को गति देने की योजना बना रहे हैं. यूज्ड अप्लायंस, पुरानी कारों के इस्तेमाल, उसके अपग्रेड करने से ट्रेड-इन प्रोग्राम में शामिल कंपनियों को मजबूती मिलेगी. इसके साथ ही घरेलू मांग बढ़ेगी. चीन के राष्ट्रपति को भरोसा है कि ट्रेड-इन में ग्रोथ को बल देने की क्षमता है.

क्या है शी जिनपिंग की ट्रेड-इन योजना
चीन पुरानी कारों, मशीनों, फ्रिज पर फोकस बढ़ा रहा है. आप हैरान हो रहे होंगे कि आखिर इससे चीन को क्या मिलने वाला है? आखिर चीन की ट्रेड-इन योजना कैसे काम करेगी ? बता दें कि अपनी अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चार महीने पहले ही ट्रेड-इन स्कीम को आगे बढ़ाया था. उनका मानना था कि इस ट्रेड इन पॉलिसी से घरों और उद्योगों को अपनी पुरानी मशीनरी को अपग्रेड करने में मदद मिलेगी. जिनपिंग का मानना है कि इस ट्रेड-इन योजना से देश में उपभोक्तओं खर्च को बढ़ाने में मदद मिलेगी. पुरानी मशीनरी को स्क्रैप करने से नई मशीनरी को खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा. इतना ही नहीं इस ट्रेड इन योजना के तहत नए इलेक्ट्रिक वाहनों और कम एनर्जी खपत करने वाली कारों को खरीदने का मौका मिलेगा, चीन ने इसके लिए सब्सिडी की पेशकश भी की है.

सब्सिडी, टैक्स में छूट और लोन की सुविधा

इकोनॉमी को बचाने के लिए चीन ट्रेड-इन पॉलिसी पर फोकस बढ़ा रहा है. चीन इसके लिए सब्सिडी, टैक्स में छूट से लेकर रियायती दरों पर लोन की सुविधा देने की तैयारी में है. अप्लायंस अपग्रेड से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उन्हें तमाम सुविधाएं दिए जाने की प्लानिंग है. चीन के जियांग्सू प्रांच के सूजो शबर में 20 अप्रैल से ही कारों के लिए 100 मिलियन युआन ( 6000 युआन प्रति ग्राहक तक) की सब्सिडी दी जा रही है. वहीं मशीनरी उपकरणों के लिए 20 मिलियन युआन की सब्सिडी की घोषणा की गई है.

पुरानी कारों से कैसे बचेगी चीन की अर्थव्यवस्था

बीते साल तक चीन में 336 मिलियन कारें, 3 अरब से ज्यादा फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एसी थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके छोटे से हिस्से की भी रिसाइक्लिंग कितनी चुनौतीपूर्ण है. पुरानी कारें और पुराने एसी फ्रिज की इस स्कैप पॉलिसी से चीन को अर्थव्यवस्था को बल देने में मदद मिलेगी. इस ट्रेड-इन पॉलिसी से रिटेल सेल, बड़े निवेश में बढ़ोतरी होगी. इस योजना से इस साल यहां रिटेल सेल में 0.5 फीसदी इजाफे की उम्मीद है तो वहीं 2027 तक चीन के बड़े निवेश में 0.4 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. इस ट्रेड इन पॉलिसी से साल 2027 तक चीन के प्रमुख उद्योगों के निवेश में 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा इस स्कीम से चीन की रीसाइक्लिंग उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक साल 2024 के जीपीडी ग्रोथ में 0.6 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जिसमें दो-तिहाई से अधिक अतिरिक्त घरेलू खर्च से आएगा, जिसमें से ज्यादातर कारों की बिक्री से आने की उम्मीद है. यानी लोग नई कारों की खरीद पर फोकस बढ़ा रहे हैं.

पुराने , यूज्ड सामानों की रीसाइकलिंग करने से नए दौर को बढ़ावा मिलेगा. बीते साल चीन के उपकरण अपग्रेड में 4.9 ट्रिलियन युआन का निवेश मिला था, जिसे साल 2027 तक 25 फीसदी बढ़ाने की योजना है. इसके अलावा ट्रेन इन पॉलिसी से चीन अपने लोकल डिमांड को पूरा कर सकेगा. चीन पर अक्सर ये आरोप लगते रहे हैं कि वो अपने सस्ते सामानों से अमेरिका, यूरोप जैसे देशों के बाजारों को तो भर देता है, लेकिन अपने लोगों की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता.