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Bihar Caste Survey: बिहार में हुए जातीय सर्वे में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 जनवरी) को बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जातीय सर्वे की पूरी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सर्वे का पूरा विवरण सार्वजनिक डोमेन में डाला जाना चाहिए ताकि उसके निष्कर्षों को अगर कोई चाहे तो चुनौती दे सके. इसके साथ ही कोर्ट ने मामले में किसी तरह का अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया. मामले में कोर्ट पांच फरवरी को फिर सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से नीतीश सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
दरअसल, बिहार सरकार ने अभी तक इस डेटा को बिहार सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं कराया है. सरकार की ओर से सिर्फ सदन के पटल पर ही डेटा रखा गया है. रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए इसे अनाधिकृत तरीके से मीडिया को भी प्रदान करा दिया गया है. जातीय सर्वे के डेटा को सार्वजनिक करने के बाद सरकार ने आरक्षण का दायरा भी बढ़ा दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट ने डेटा को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है. अगर ये डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया तो नए डेटा पर दी जाने वाले आरक्षण पर लगाम लग सकती है. हालांकि, नीतीश सरकार ने कोर्ट में कहा कि सबकुछ पहले ही सार्वजनिक किया जा चुका है.
इस डेटा के सार्वजनिक होने पर डेटा कलेक्शन को लेकर तमाम तरह के सवाल उठेंगे और उन बिंदुओं पर लोग कोर्ट जा सकेंगे. अदालत में सरकार को बताना पड़ेगा कि इस डेटा का आधार क्या है? बता दें कि रिपोर्ट तैयार होते समय लोगों का मौखिक बयान ही लिया गया है. सत्यता की जांच करने के लिए किसी भी तरह के डॉक्यूमेंट नहीं लिया गया है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी ने बता दिया कि वह बेरोजगार है तो उसे बेरोजगारों की लिस्ट में दर्ज कर लिया गया है. भले ही वह कोई नौकरी कर रहा हो और अच्छी-खासी तनख्वाह पा रहा हो.
जातीय सर्वे की रिपोर्ट पर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. तमाम राजनेता इस रिपोर्ट में गड़बड़ी बता रहे हैं. विपक्ष का आरोप है कि गणना में जातियों की संख्या घटा-बढ़ा दी गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और पटना साहिब से बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये कैसी जातिगत जनगणना है, जिसमें मेरे घर तो सर्वे के लिए कोई आया ही नहीं. उन्होंने ये भी कहा कि ये सिर्फ मेरी शिकायत नहीं है, बल्कि कई अन्य लोगों का भी यही कहना है. उनके पास बहुत सारी शिकायतें आ रही हैं. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हमारी जाति की संख्या भी कम हो गई है.