पंडित नेहरू ने शुरू किया था जो काम, वो मेरे आने के बाद हुआ पूरा- पीएम मोदी

Pandit Nehru started the work that was done after my arrival- PM Modi
Pandit Nehru started the work that was done after my arrival- PM Modi
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National Conference of Environment Ministers: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए गुजरात के नर्मदा जिले के एकता नगर में कई राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने विभिन्न राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों को संबोधित किया और कहा कि अपने कमिटमेंट को पूरा करने के हमारे ट्रैक रिकॉर्ड के कारण ही दुनिया आज भारत के साथ जुड़ भी रही है.

पंडित नेहरू के समय शुरू हुआ, मेरे आने के बाद हुआ पूरा: PM मोदी
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने ‘अर्बन नक्सल’ और राजनीतिक समर्थन वाले ‘विकास विरोधी तत्वों’ पर निशाना साधा और कहा कि कई सालों तक नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के निर्माण को पर्यावरण के नाम पर रोककर रखा गया. उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जिस काम की शुरुआत की थी, वह मेरे आने के बाद पूरा हुआ.

पंडित नेहरू ने किया था इस बांध शिलान्यास: पीएम मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आगे कहा, ‘आप जिस जगह बैठे हैं, एकता नगर का उदाहरण आंखे खोलने वाला है कि अर्बन नक्सलों और विकास विरोधियों ने कैसे सरदार सरोवर डैम को रोककर रखा था. आपने यह जलाशय देखा होगा. इसका शिलान्यास आजादी के तुरंत बाद किया गया था. सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी और पंडित नेहरू ने इसका शिलान्यास किया था. लेकिन, सारे अर्बन नक्सल मैदान में आ गए और दुनिया के लोग आ गए. झूठा प्रचार किया, अभियान चलाया कि यह पर्यावरण विरोधी है. बार-बार उसे रोका गया. जिस काम की शुरुआत नेहरू जी ने की थी, वो काम मेरे आने के बाद पूरा हुआ. आप सोचिए देश का कितना पैसा बर्बाद हुआ.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं देश के सभी पर्यावरण मंत्रियों से आग्रह करूंगा कि राज्यों में सर्कुलर इकॉनॉमी को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दें. इससे Solid Waste management और सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति के हमारे अभियान को भी ताकत मिलेगी.’ उन्होंने आगे कहा, ‘आजकल हम देखते हैं कि कभी जिन राज्यों में पानी की बहुलता थी, ग्राउंड वॉटर ऊपर रहता था, वहां आज पानी की किल्लत दिखती है. ये चुनौती सिर्फ पानी से जुड़े विभाग की ही नहीं है बल्कि पर्यावरण विभाग को भी इसे उतना ही बड़ी चुनौती समझना होगा.’