मुख्तार अंसारी की लाश का सुनते ही गिर पडा बेटा, कई जिलों में धारा 144, जानें ताजा हालात

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Mukhtar Ansari Death News Live: बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। मेडिकल कॉलेज बांदा ने उसकी मौत की पुष्टि की है। पूरे यूपी में पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है। मऊ, गाजीपुर और बांदा जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है।

घर से चार सौ मीटर दूर कब्रिस्तान में होगा सुपुर्दे खाक
मुख्तार अंसारी का पार्थिव शव शनिवार की दोपहर में आने की संभावना है। परिजनों के मुताबिक उनके शव को गाजीपुर के पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा। यह कब्रिस्तान उनके घर से करीब चार सौ मीटर दूर है। इसी कब्रिस्तान में उनके पार्थिव शव को सुपुर्दे खाक किया जाएगा

रात साढ़े 12 बजे पोस्टमार्टम के लिए पहुंचा शव
मुख्तार की मौत के दो घंटे बाद यानि साढ़े बारह बजे के आसपास उसके शव को मेडिकल कॉलेज से पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाया गया। शव के पोस्टमार्टम पहुंचते ही सारा फोर्स भी वहीं तैनात हो गया। पूरे पोस्टमार्टम हाउस की घेराबंदी कर दी गई। बैरिकेडिंग भी लगा दी गई। रात में पोस्टमार्टम शुरू नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि मुख्तार के परिजन के सामने आज यह प्रकिया की जाएगी।

मुख्तार तीन बार जेल में रहते जीता चुनाव
मुख्तार पहली बार मऊ सदर विधानसभा से 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचा था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दल विधायक बना। फिर, कौमी एकता दल के नाम से अपनी नई पार्टी बनाया और 2012 का विधानसभा चुनाव जीता। वर्ष 2017 में मुख्तार अंसारी बसपा से चुनाव जीता। विधानसभा के आखिरी तीन चुनाव वह जेल में रहते हुए जीता।

‘जिंदा देखने न दिया, कंधा के लिए भेजा बुलावा’
मुख्तार का एक बेटा अब्बास इस वक्त कासगंज जेल में सजा काट रहा है तो दूसरा और छोटा बेटा उमर अब्बास दो दिन पहले ही मेडिकल कॉलेज पिता को देखने आया था। परिवार के करीबियों ने बताया कि जैसे ही उमर को प्रशासन की ओर से उसके पिता की मौत की सूचना दी गई वह धड़ाम से अपनी कुर्सी पर गिर पड़ा। करीबियों के मुताबिक उमर कुछ ही देर में बांदा पहुंच भी जाएगा। उसने भरे गले से कहा कि दो दिन पहले इन पुलिस वालों ने अस्पताल में भर्ती पिता को शीशे से भी देखने नहीं दिया और आज जब वह इस दुनिया में नहीं है तो वही पुलिस प्रशासन उनके जनाजे को कंधा देने के लिए बुलावा भेज रहा है। ऐसे में एक बेटे के दिल पर क्या गुजर रही होगी, इन अधिकारियों को क्या मालूम। बकौल उमर जबसे उम्र संभाली तब से कई साल बिना पिता के बिताए हैं, भरोसा था कि कभी तो पिता का कंधा सिर रखने के लिए मिलेगा, लेकिन क्या पता था कि वह कंधा अब उसे कभी नसीब नहीं होगा।