यूपी में भीषण गर्मी से गहराया बिजली संकट, शहरों से लेकर गांवों तक अघोषित कटौती

Power crisis deepens in UP due to scorching heat, undeclared cuts from cities to villages
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लखनऊ। भीषण गर्मी से प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है। तकनीकी गड़बड़ियों व कोयले की कमी से तापीय इकाइयों के बंद होने से भी समस्या बढ़ रही है। सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के ताप बिजलीघरों से पूरी क्षमता से उत्पादन न होने से बिजली की कमी बनी हुई है। वितरण और ट्रांसमिशन नेटवर्क के ओवरलोड होने और अन्य स्थानीय गड़बड़ियों से भी दिक्कत बढ़ती जा रही है।

पारा चढ़ने के साथ प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी से उतरती जा रही है। राजधानी में ही तमाम क्षेत्रों में रात और दिन में अघोषित बिजली कटौती हो रही है। यही हाल अन्य बड़े शहरों, जिला मुख्यालयों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक का है। वास्तविक स्थिति सामने न आए इसलिए स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने आपूर्ति की दैनिक रिपोर्ट तक अपनी वेबसाइट से हटा ली है।

सूत्रों के अनुसार प्रदेश में बिजली की मांग 20,000 मेगावाट के आसपास है जबकि उपलब्धता 18000-19000 मेगावाट के बीच चल रही है। कभी-कभार मांग बढ़कर 21000 मेगावाट तक पहुंच रही है। प्रदेश के 14224 मेगावाट क्षमता के ताप बिजलीघरों से करीब 9000-11000 मेगावाट बिजली मिल पा रही है। इसके अलावा केंद्र से लगभग 7000 मेगावाट बिजली मिल रही है।

शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे आपूर्ति का दावा
अधिकारियों का कहना है कि सामान्य अवधि में तो कोई खास समस्या नहीं आ रही है, लेकिन पीक ऑवर्स और रात में मांग काफी बढ़ती है जिससे दबाव ज्यादा बढ़ जाता है। सभी क्षेत्रों को तय शिड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कई बार मांग ज्यादा बढ़ने से गांवों, कस्बों और तहसील मुख्यालयों पर आपात कटौती करनी पड़ती है। अधिकारियों का दावा है कि शहरी क्षेत्रों को शिड्यूल के मुताबिक 24 घंटे आपूर्ति की जा रही है।

निजी उत्पादकों ने उत्पादन कम कर दिया
पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि कोयले की कमी से कुछ निजी उत्पादकों ने उत्पादन कम कर दिया है जबकि बजाज की ललितपुर परियोजना की 660 मेगावाट क्षमता की एक इकाई कोयले की कमी से बंद चल रही है। अनपरा की एक 500 और एक 210 मेगावाट क्षमता की इकाई तकनीकी कारणों से बंद चल रही है। हरदुआगंज, पारीछा व ओबरा बिजलीघर में कोयले की कमी से उत्पादन कम हो रहा है। ताप बिजलीघरों की इकाइयों में पूरी क्षमता से उत्पादन न होने से आपूर्ति व्यवस्था पटरी पर रखने में दिक्कत आ रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों का शिड्यूल गड़बड़ाया
पावर कॉर्पोरेशन और एसएलडीसी के अधिकारी बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन प्रबंधन की ओर से तैयार कराई जा रही आंतरिक रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों को शिड्यूल के अनुसार आपूर्ति न हो पाने की जानकारी आ रही है। गांवों के लिए 18 घंटे का शिड्यूल है जबकि इस समय औसत 13:45 घंटे आपूर्ति हो पा रही है। इसी तरह कस्बों को 21:30 घंटे के स्थान पर 18:45 घंटे और तहसीलों को 21:30 घंटे के स्थान पर करीब 19 घंटे ही बिजली आपूर्ति हो पा रही है।