3 कृषि कानूनों के बाद पंजाब के किसानों के सामने आई एक और चुनौती

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जालंधर। पंजाब के लाखों किसानों और मजदूरों द्वारा लम्बी जद्दोजहद कर वापस करवाए तीन कृषि कानूनों के बाद उत्तरी भारत में खास तौर पर पंजाब के कृषि सैक्टर के सामने एक और बड़ी चुनौती आई है। इसका हल यदि सरकार द्वारा समय पर न किया गया तो अनर्थ हो जाएगा। इस बात का खुलासा करते हुए किसान और आलू बीज उत्पादक हरिंदर सिंह ढींडसा ने बताया कि करीब 10 दिन पहले पड़ी भारी बारिश और ओलावृष्टि के कारण पंजाब और दोआबा क्षेत्र में आलू और गेहूं की फसल को भारी नुक्सान पहुंचा है।

इस दौरान आलू के खेतों में तैयार फसल में से 80 प्रतिशत उत्पाद खराब हो चुका है। इसके साथ ही गेहूं के बहुत से खेतों में पानी लगा होने से बावजूद पड़ी अचानक बारिश के कारण खेतों में पानी भर जाने कारण गेहूं को खाद डालने में देर हो जाने के कारण बीमारियां लगने का डर प्रकट किया जा रहा है। हरिंदरा सीड्ज के प्रमुख ने अपना तजुर्बा सांझा करते हुए बताया कि बेमौसमी बारिश के कारण होने वाली आलू की खुदाई को अभी पता नहीं ओर कितने दिन लगेंगे। खुदाई में देर के कारण आलू के झाड़ पर उलट प्रभाव भी तय है।

किसान नेता ने बताया कि आलू उत्पादन को सबसे अधिक नुक्सान बरदाश्त करना पड़ेगा क्योंकि आलू को जरूरत से कहीं ज्यादा पानी लग चुका है जिस कारण आलू के खेतों में या स्टोर में पड़े पड़े गलना तय है। इसके इलावा बेमौसमी बारिस का पशु चारे और सब्जियों के उत्पादन पर भी काफी बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है जो किसानों की कमर तोड़ कर रख देगा। इसके साथ ही उत्पादन घटने कारण महंगाई भी आम लोगों का बजट बिगाड़ सकती है।

शिरोमणि अकाली दल के पूर्व जिला प्रधान हरिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि कुदरत की प्रकोप के कारण न सिर्फ किसान, पशु पालकों, सब्जी उतपादकों का भारी नुक्सान हुआ है। दैनिक वेतन वाले कृषि मजदूरों को भी कई दिन काम न मिलने कारण रोटी के लाले पड़े हुए हैं। इसलिए पंजाब सरकार को समूह किसान मजदूर भाईचारे के लिए अधिक से अधिक मुआवजा प्रदान करना चाहिए।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह कार्यवाही तुरंत शुरू न की तो सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की सरकार को भारी लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। किसान मजदूरों को अपनी बात सरकार के कानों तक पहुंचाने के लिए संघर्श का रास्ता चुनना पड़ सकता है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।