Beawar: राजस्थान हाईकोर्ट ने दस्तावेजों में हेरफेर के आरोपी जसवंत चौधरी की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने पुलिस थाना ब्यावर सिटी द्वारा की गई चौधरी की गिरफ्तारी को अवैध मानते हुए इसे संवैधानिक अधिकारों का हनन करार दिया है.
जसवंत चौधरी के खिलाफ एफआईआर
दरअसल, जसवंत चौधरी व उनके पुत्र पंकज चौधरी द्वारा संजय अग्रवाल, निर्मल खीवसरा, प्रकाशमल भॉण्डावत व अन्य निवासी ब्यावर के विरुद्ध धोखाधड़ी करने व जमीन हड़पने का प्रयास करने के संबंध में पुलिस थाना ब्यावर सिटी के यहां दो अलग-अलग प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 501/2019 एवं 456/2019 दर्ज करवाई थी.
इन दोनों मामलों की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश चौधरी द्वारा की गई. इन दोनों मामलों में जांच अधिकारी द्वारा स्वयं परिवादी व परिवादी के पिता जसवंत चौधरी को ऐसे दस्तावेज के आधार पर अभियुक्त माना गया जिसके संबंध में पूर्व में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 876/2019 को उच्च न्यायालय राजस्थान जयपुर पीठ द्वारा अपराध घटित नहीं होना मानते हुए 22 नवंबर 2021 को निरस्त किया जा चुका था.
इसके अतिरिक्त पुलिस थाना ब्यावर सिटी के समक्ष तरूण कुमावत द्वारा दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 826/2021 में भी इसी आधार पर अनुसंधान अधिकारी शौकत अली द्वारा जसवंत चौधरी को अभियुक्त माना गया. तीनों प्रकरणों में जसवंत चौधरी को अभियुक्त मानते हुए पुलिस थाना ब्यावर सिटी द्वारा गिरफ्तार किया गया.
जसवंत चौधरी की ओर से तीनों मामलों में पुलिस थाना ब्यावर सिटी द्वारा की गई गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा अनुसंधान अधिकारी राजेश चौधरी, शौकत अली एवं ब्यावर सिटी थानाधिकारी संजय शर्मा को व्यक्तिगत: तलब किया गया.
‘दोषियों को नहीं किया गया गिरफ्तार’
अदालत ने द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया कि जांच अधिकारी द्वारा दोषी लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया. अदालत ने कहा कि जसवंत चौधरी को गिरफ्तार किया जाना पूर्णतया गलत है एवं कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग किया जाना है.
जांच पर कोर्ट ने उठाए सवाल
उच्च न्यायालय द्वारा यह भी कहा गया कि जांच अधिकारी प्रतिपक्षी के साथ मिले हुए हैं एवं जसवंत चौधरी की गिरफ्तारी उनको परेशान करने की नियत से की गई है. उच्च न्यायालय द्वारा जांच अधिकारी के कृत्यों को मनमाना व कानूनी प्रावधानों का दुरूपयोग मानते हुए गिरफ्तारी को अवैध एवं संवैधानिक अधिकारों का हनन करार दिया.
स्वतंत्रता का हुआ हनन
न्यायालय द्वारा यह माना गया कि इस अवैध गिरफ्तारी से जसवंत चौधरी की स्वतंत्रता का हनन हुआ है. अत: उन्हें तुरंत रिहा किया जाए. उच्च न्यायालय द्वारा पुलिस महानिदेशक डीजीपी राजस्थान को निर्देश दिया गया कि वे इन प्रकरणों की जांच जयपुर रेंज के किसी आईपीएस अधिकारी से करवाएं.
कोर्ट ने कहा कि नवनियुक्त जांच अधिकारी अपना जांच प्रतिवेदन 28 मार्च 2022 तक उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें. सुनवाई के दौरान उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता को भी निर्देशित किया गया कि वे वर्तमान जांच अधिकारी से उक्त तीनों प्रकरणों की पत्रावलियां वापस लेकर पुलिस महानिदेशक जयपुर को सौंपे.