मुजफ्फरनगर में हेल्थ वर्कर्स के वेतन बढ़ोतरी में 1.44 करोड़ का घोटाला, DM को भेजी जांच

Scam of 1.44 crores in salary hike of health workers in Muzaffarnagar, probe sent to DM
Scam of 1.44 crores in salary hike of health workers in Muzaffarnagar, probe sent to DM
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मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में स्वास्थ्य विभाग के 64 कर्मचारियों को शासनादेश का उल्लंघन कर वेतन बढ़ोतरी के एरियर के रूप में 1.44 करोड़ रुपए अधिक का भुगतान कर दिया गया। आरटीआई से मिली जानकारी से घोटाले का खुलासा हुआ। पता चला कि कर्मचारियों को शासनादेश के विपरीत निर्धारित से तीन साल अधिक का एरियर का भुगतान किया गया। शिकायत पर CM कार्यालय की ओर से DM को जांच के आदेश दिए गए हैं। एक प्रकरण का निस्तारण करते हुए वित्त नियंत्रक चार साल पहले ही किए गए इस तरह के भुगतान काे शासनादेश के विपरीत बता चुके हैं।

क्या की गई थी वेतन बढोतरी की व्यवस्था
शासन से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को 10 साल की सेवा पूरी करने पर 1 जुलाई 1985 से सलेक्शन ग्रेड पे यानी वेतनमान में बढ़ोतरी करने की सुविधा प्रदान करने की व्यवस्था की थी। इसके बाद 6 वर्ष की सेवा पूरी करने पर 1991 से पहले प्रमोशन पर वेतन बढ़ोतरी का प्रावधान भी किया गया।

जिले के गांव धनायन निवासी समाजसेवी विमल त्यागी ने जनसूचना अधिकार के तहत सीएमओ से जानकारी मांगी, तो खुलासा हुआ कि जिले के 64 स्वास्थ्यकर्मियों को शासनादेश के विपरीत 1985 के बजाए 1982 के आधार पर निर्धारित से 1.44 करोड़ रुपए अधिक का भुगतान किया गया। सिर्फ ये ही नहीं, बल्कि इनमें सेवारत कर्मचारी इसी आधार पर अन्य बढ़ोतरी का लाभ ले रहे हैं, जबकि रिटायर कर्मियों को पेंशन में भी बढ़ोतरी का लाभ मिल रहा है। इस तरह यह घोटाला निरंतर जारी है।

सीएम से की 3 करोड़ के घोटाले की शिकायत
आरटीआइ से घोटाले का खुलासा होने पर विमल त्यागी ने सारे प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी। विमल त्यागी का आरोप था कि शासनादेश की अनदेखी कर भ्रष्टाचार के चलते गलत वेतनमान स्वीकृत कर लगभग 3 करोड़ का अनियमित भुगतान कर दिया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि सारा भुगतान 2017-18 में रिटायर हुए तत्कालीन सीएमओ डॉ. पीएस मिश्रा के आदेश पर किया गया। इस पर मुख्यमंत्री के उप सचिव सिद्धशरण पांडेय ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए डीएम चंद्रभूषण सिंह को मामले की नियमानुसार जांच कराकर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।

आरटीआई से जानकारी मिलने में लगे 4 साल
विमल त्यागी ने घोटाले से संबंधित जानकारी लेने के लिए आरटीआई के तहत 2018 में सीएमओ कार्यालय में आवेदन किया था। उन्हें कई वर्ष तक संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। बताया कि आवेदन करने के करीब चार साल बाद 22 मार्च 2022 को संबंधित जानकारी दी गई।

वित्त नियंत्रक स्वास्थ्य सेवा भुगतान से असहमत
वित्त नियंत्रक महानिदेशक, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश लखनऊ सुभाष चंद्र यादव ने दो प्रकरण का निस्तारण करते हुए सेलेक्शन और प्रमोशन पे ग्रेड का लाभ क्रमश: 1982 तथा 1988 से दिए जाने काे शासनादेश का उल्लंघन बताया था। उन्होंने स्टेट पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के आदेश पर जिले के दो कर्मचारियों के प्रकरण का निस्तारण करते हुए 12 सितंबर 2018 को जारी कार्यालय आदेश में कहा था कि बढ़े वेतनमान का लाभ 1985 से ही दिया जा सकता है। उन्होंने दो कर्मियों रामधन गुप्ता तथा हरदेव सिंह को नियमों का हवाला देते हुए 1982 के आधार पर भुगतान से इंकार किया था।

आरटीआई में जानकारी देकर भी CMO अंजान
नियम विरुद्ध 1.44 करोड़ के भुगतान की जानकारी आरटीआई के तहत सीएमओ डॉ. एमएस फौजदार के हस्ताक्षर से दी गई। जब उनसे उनके कार्यकाल से पहले हुए करोड़ों के घोटाले के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इस तरह की किसी भी जानकारी होने से इंकार कर दिया। सीएमओ ने बताया कि उन्हें इस प्रकार के भुगतान की कोई जानकारी नहीं है।