अभी अभीः सिंघु बॉर्डर पर युवक को मारकर आंदोलन के मंच के पास लटकाई लाश, मचा हडकंप

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नई दिल्ली। किसानों के बड़े आंदोलनस्थलों में से एक सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर किसानों के मंच के पास शुक्रवार को एक व्यक्ति की बेरहमी से हत्या करने का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, उसका एक हाथ काटकर शव को बैरिकेड से लटका दिया गया। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची कुंडली थाना पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर घटना की जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के अनुसार, सिंघु बॉर्डर पर कुंडली एरिया में कथित तौर पर निहंगों ने एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी। इतना ही नहीं हत्या के बाद मृतक का एक हाथ भी काट दिया गया। कहा जा रहा है कि निहंगों ने गुरु ग्रंथ साहिब से छेड़छाड़ के आरोप पर उस युवक की हत्या कर दी थी। युवक की बेरहमी से हत्या की घटना से सनसनी फैल गई है।

ज्ञात हो कि युवक की लाश मिलने के बाद सिंघु बॉर्डर पर जमकर हंगामा शुरू हो गया। मृतक शख्स की उम्र 35 के आसपास बताई जा रही है। युवक के शरीर पर धारदार हथियार के निशाने होने की भी बात कही जा रही है। भारी हंगामे के बीच पुलिस ने उस लाश को नीचे उतारा और सिविल अस्पताल लेकर गई।

बता दें कि, नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते साल 26 नवंबर से हजारों की तादाद में किसान दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।

गौरतलब है कि किसान तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार सितंबर 2020 में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।