सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका: ‘हम अच्छी चीजों को क्यों नहीं देखते…’

Supreme Court dismisses Teesta Setalvad's plea: 'Why don't we see the good things...'
Supreme Court dismisses Teesta Setalvad's plea: 'Why don't we see the good things...'
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ‘संवेदनशील इलाकों’ से होकर धार्मिक जुलूस के निकलने पर रोक की मांग वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। सोशल ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सिटिजंस फॉर जस्टिस ऐंड पीस (CJP) की तरफ से दाखिल इस याचिका में कहा गया था कि धार्मिक जुलूसों से दंगे भड़कते हैं लिहाजा इस पर रोक लगनी चाहिए। इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि हम हमेशा धार्मिक जुलूसों को इस रूप में ही क्यों देखते हैं कि इससे दंगे होते हैं। हम अच्छी चीजों को क्यों नहीं देखते। बाद में याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेनी चाही लेकिन शीर्ष अदालत ने उसे खारिज कर दिया।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की गई थी कि किसी समुदाय को शक्तिप्रदर्शन के तौर पर ऐसे जुलूसों को निकालने के लिए पुलिस से इजाजत को लेकर देशभर के लिए एक गाइडलाइंस जारी की जाए। सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा की बेंच के सामने सीजेपी के वकील सीयू सिंह ने दलील दी कि ज्यादातर दंगे इसी वजह से भड़कते हैं। उन्होंने कहा कि कई जांच आयोगों ने ऐसे धार्मिक जुसूसों को दंगों का मुख्य कारण बताया है। ऐसे जुलूसों में हिस्सा लेने वाले तलवार जैसे हथियार और धार्मिक प्रतीक लिए होते हैं।

सिंह ने कहा, ‘त्योहारों के दौरान ऐसी ‘शोभा यात्राओं’ के लिए इजाजत देते वक्त पुलिस को सावधानी बरतनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को देशभर के लिए गाइडलाइंस जारी करनी चाहिए जिसका सभी राज्यों की पुलिस पालन करे। सिंह ने कहा कि कानून शांतिपूर्ण कार्यक्रम की इजाजत देता है लेकिन ज्यादातर जुलूसों में लोग तमाम तरह के हथियार लिए रहते हैं जिससे तनाव बढ़ता है।

इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम हमेशा धार्मिक जुलूसों को इस रूप में क्यों दिखाते हैं कि इनसे दंगे भड़कते हैं। हर वर्ष गणपति उत्सव के दौरान जुलूस निकलते हैं लेकिन कभी दंगे नहीं भड़के। हम अच्छी चीजों को क्यों नहीं देखते? सुप्रीम कोर्ट को ऐसी स्थिति में मत उलझाइए जिनसे निपटने के लिए पुलिस और राज्य सरकारें सक्षम हैं।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमारे देश की विविधता की ओर देखिए। एक जिले से दूसरे जिले में जाने पर कल्चर बदल जाती है। राज्य स्थितियों को नियंत्रित कर सकते हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तय करने से क्या मदद मिलेगी?’

सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को भांपने के बाद सिटिजंस फॉर पीस ऐंड जस्टिस ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी ताकि भविष्य में इस मुद्दे पर न्यायपालिका का रुख करने का रास्ता खुला रहे। लेकिन बेंच ने कहा कि ऐसी याचिकाओं को वापस लेने की इजाजत नहीं देंगे और याचिका खारिज कर दी।