आंत को अंदर से सड़ देती है यह बीमारी, गैस, ब्लोटिंग से शुरू होती है कहानी, जल्द करें ये बदलाव

This disease rots the intestine from inside, the story starts with gas, bloating, make these changes soon
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Symptoms of Colitis: हमारे जीवन का अस्तित्व भोजन पर टिका है. भोजन पेट में जाकर पचता है और उनमें से आवश्यक पोषक तत्व को शरीर प्राप्त करता है. बाकी अपशिष्ट पदार्थ को शरीर से बाहर निकाल देता है. अगर पेट में भोजन का पाचन सही से होता है तो पूरा शरीर सही रहता है और हमारा मन भी खुश रहता है लेकिन अगर पेट में दिक्कत हो जाए तो इससे पूरी कहानी बिगड़ जाती है. पेट में समस्या होने पर पूरा मन बेचैन रहता है. पेट के लिए कोलाइटिस बेहद खतरनाक बीमारी है जो धीरे-धीरे डाइजेस्टिव सिस्टम को सड़ाने लगती है.

मायो क्लिनिक के मुताबिक कोलाइटिस इंफ्लामेटरी बावेल डिजीज (IBD) है जो आहार नली में सूजन और घाव के कारण होती है. यानी शुरू में यह बीमारी सामान्य गैस और ब्लॉटिंग से शुरू होती है. कोलाइटिस बड़ी आंत की अंदरुनी परत पर असर डालती है जिसके कारण वहां सूजन हो जाती है और इससे पेट में बेपनाह दर्द होता है.

क्या है कोलाइटिस
कोलाइटिस कोलोन या रेक्टम या मलद्वार के निचले हिस्से में सूजन से शुरू होती है. इसमें अचानक कोई लक्षण नहीं दिखता बल्कि धीरे-धीरे लक्षण शरीर में प्रकट होते हैं. अल्सरेटिव कोलाइटिस मलद्वार में एक नली बना लेती है जिसमें सूजन और जलन रहती है. हालांकि इसका कोई फूलप्रूव इलाज नहीं है लेकिन कई ऐसे इलाज हैं जिसमें लक्षण को कम किया जा सकता है और लंबे समय तक इससे छुटकारा पाया जा सकता है.

कोलाइटिस के लक्षण
अल्सरेटिव कोलाइटिस के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं. यह सूजन और कहां कोलाइटिस हुआ है, इस बात पर निर्भर करता है. कोलाइटिस के शुरुआती लक्षणों में पेट खराब रहता है और स्टूल से पस या ब्लड निकलने लगता है. इस बीमारी में पेट दर्द बहुत बड़ी समस्या है. इसके लिए पेट में क्रैंप करता रहता है. मलद्वार में भी दर्द होता है. बहुत तेज टॉयलेट जाने की तलब होती है. कोलाइटिस में वजन भी कम हो जाता है. बहुत अधिक थकान रहती है. इसके अलावा बुखार भी रहता है. बच्चों में अगर कोलाइटिस की बीमारी हो जाए तो उसका विकास नहीं हो पाता है.

क्या है इसका इलाज
कोलाइटिस के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डॉक्टर एंडोस्कोपी के माध्यम से यह तय करते हैं कि कोलाइटिस है या नहीं. इस बीमारी में एंटी-इंफ्लामेटरी दवा देकर ठीक किया जाता है. इसके साथ ही इम्यून सिस्टम जो गलती से कोलोन पर हमला कर देता है को दबाने के लिए दवा दी जाती है. इस बीमारी में लगातार डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

कोलाइटिस में क्या करें बदलाव
कोलाइटिस का सटीक कारण अब तक पता नहीं चल पाया है. हालांकि दवाइयों से इसे ठीक किया जा सकता है. अगर दवाई से ठीक नहीं होती तो इसके लिए सर्जरी की जा सकती है. क्लिवलैंड मेडिकल के मुताबिक कोलाइटिस के लिए हाई फैट डाइट और एंटी-इंफ्लामेटरी ड्रग जिम्मेदार हो सकता है. इसलिए इन चीजों से परहेज करें. वहीं, इमोशनल स्ट्रेस इस बीमारी को बहुत अधिक बढ़ा देता है. इसलिए लाइफस्टाइल में बदलाव करना जरूरी है. कोलाइटिस के बाद रोजाना एक्सरसाइज, पर्याप्त नींद और मेडिटेशन जरूरी है. वहीं पेन रिलीफ में नॉन-स्टेरॉयड दवा की जगह एसिटामिनोफेन का इस्तेमाल करना चाहिए.