ज्यादा रिटर्न के नाम पर गाढ़ी कमाई लूटने वाले जाएंगे जेल, योगी सरकार लाने जा रही है नए नियम

Those looting hard earned money in the name of high returns will go to jail, Yogi government is going to bring new rules
Those looting hard earned money in the name of high returns will go to jail, Yogi government is going to bring new rules
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लखनऊ: सूबे के छह मुख्यमंत्री 25 सालों में जनता को लूटने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर अंकुश नहीं लगा सके। इसकी वजह रही एनबीएफसी संचालकों की ऊंची पहुँच। परिणाम स्वरूप कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव अपने शासन काल में ज्यादा रिटर्न का झांसा देकर जनता की मेहनत से कमाई गई संपत्ति को लूटने वाली एनबीएफसी पर अंकुश लगाने के लिए कानून नहीं ला सके। लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी में लोगों को अधिक ब्याज या रिटर्न का लालच देकर उनकी गाढ़ी कमाई लूटने वाले पोंजी स्कीम संचालकों (एनबीएफसी) पर शिकंजा कसने का मन बना लिया है। इसके लिए राज्य सरकार प्रदेश में पोंजी स्कीम संचालित करने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने के लिए उप्र अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी विनियमावली, 2023 लाने जा रही है।

इस विनियमावली के प्रारूप को अगली कैबिनेट में पास कराने की तैयारी है। मुख्यमंत्री सचिवालय के अफसरों का कहना है कि इस विनियमावली के लागू होने पर कोई भी व्यक्ति, संस्था या एनबीएफसी सक्षम स्तर से अनुमोदन/पंजीकरण के बिना लोगों की रकम जमा नहीं कर सकेगी। जनता की मेहनत से कमाई गई धनराशि को लूटने वाले कंपनियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी। हर साल राज्य में होने वाले करोड़ों रुपए के वित्तीय फ़्राड रोके जा सकेंगे। यूपी के बैंकिंग सचिव रहे चुके रिटायर आईएएस सदाकांत कहते हैं जो काम 25 साल पहले उनकी पहल पर हो जाना चाहिए था, वह अब हो रहा है, इसकी उन्हे खुशी है। उप्र अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी विनियमावली के लागू होने से राज्य में ज्यादा रिटर्न का झांसा देकर गाढ़ी कमाई लूटने वालों पर शिकंजा कसेगा।

सदाकांत वह अधिकारी हैं जिन्होने बैंकिंग सचिव रहते हुए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को कानून के दायरे में लाने के लिए कानून बनाने संबंधी प्रस्ताव तैयार किया था। परंतु उनके इस प्रयास को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की लाबी में जमीन पर उतरने ही नहीं दिया और बीते 25 वर्षों से राज्य में हर साल ऐसी कंपनियां लोगों की मेहनत की कमाई लूट कर फरार होती रही।

योगी सरकार में भी बीते वर्षों में शाइन सिटी और बाइक बोट जैसी पोंजी स्कीम के जरिए सैकड़ों करोड़ रुपये के घोटाले हुए। सदाकांत के अनुसार, ये पोंजी स्कीम संचालक लोगों को उनके निवेश/जमा पर अधिक रिटर्न का झांसा देकर उनकी गाढ़ी कमाई पहले जमा कराते हैं और फिर उसे लेकर चंपत हो जाते हैं। ऐसी संस्थाएं या एनबीएफसी न तो भारतीय रिजर्व बैंक और न ही अन्य किसी रेगुलेशन से नियंत्रित होती हैं। न ही वे लोगों से जमा राशि लेने के लिए सक्षम प्राधिकारी से अधिकृत होती हैं। हालांकि ऐसे संचालकों पर कार्रवाई करने के उद्देश्य से ही केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 में अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी अधिनियम पारित कराया था। इस अधिनियम को यूपी सरकार ने अक्टूबर 2021 में अंगीकार किया था, लेकिन इसे क्रियान्वित करने के लिए अब तक विनियमावली नहीं बनी थी। जिसका संज्ञान लेते हुए अब राज्य सरकार ने उप्र अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी विनियमावली, 2023 का प्रारूप तैयार कराया है। इसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाने की तैयारी है।

मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों के अनुसार, इस विनियमावली के लागू होने पर कोई भी व्यक्ति, संस्था या एनबीएफसी सक्षम स्तर से अनुमोदन / पंजीकरण के बिना लोगों की रकम जमा नहीं कर सकेगी। सरकार ने अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई के लिए मंडलायुक्त को सक्षम प्राधिकारी के रूप में अधिसूचित किया है। इसके चलते वित्तीय फ़्राड के प्रकरण की शिकायत मिलने पर सक्षम प्राधिकारी के रूप में मंडलायुक्त ऐसे मामलों की जांच करा सकेंगे और वह आरोपी व्यक्ति/संस्था/कंपनी की संपत्ति अटैच कर सकते हैं। उसके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज करा सकते हैं। ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज होने पर अपर जिला जज (प्रथम) की कोर्ट विशेष न्यायालय के तौर पर मामले की सुनवाई करेगी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ज्यादा रिटर्न का झांसा देकर जनता की गाढ़ी कमाई लूटने वालों को अब यूपी में जेल जाना होगा।