उत्तराखंड: 4 दिन चले और पड़े 4 वोट, चुनावी यात्रा पर भारी पड़ा ‘सड़क नहीं तो वोट नहीं’ मुद्दा

Uttarakhand: 4 days went on and 4 votes were cast, 'No road, no vote' issue overshadowed the election journey.
Uttarakhand: 4 days went on and 4 votes were cast, 'No road, no vote' issue overshadowed the election journey.
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पिथौरगढ़: लोकतंत्र में किसी भी समस्या का समाधान आपका वोट है। आप वोट की चोट से सत्ताशीषों को अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए बड़ा संदेश दे सकते हैं। हालांकि, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के कनार गांव में मतदाताओं ने अपनी बात प्रशासन और सरकार तक पहुंचाने के लिए मतदान बहिष्कार का रास्ता चुना। लोगों ने रोड निर्माण की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर दिया। उत्तराखंड के सुदूर इलाकों में कनेक्टिविटी की समस्या आज भी बरकरार है। कनार गांव के लोग भी इसी समस्या से पीड़ित हैं। ग्रामीणों के वोट बहिष्कार का असर लोकतंत्र का अलख जगाने के लिए दुरूह यात्रा पूरी करने वाले वोटिंग दल के मनोबल पर पड़ा। इस गांव में वोट कराने के लिए वोटिंग दल ने चार दिनों में 100 किलोमीटर की यात्रा की। पैदल चले। लेकिन, वोट पड़े केवल 4। इससे वोटिंग दल में निराशा साफ देखी गई।

मतदान कराने पहुंची टीम हुई निराश
कनार गांव में स्थित मतदान केंद्र पर कुल 587 वोटर रजिस्टर्ड हैं। इनकी वोटिंग के लिए चार सदस्यीय चुनावी दल को रवाना किया गया था। मतदान दल की चार दिवसीय यात्रा निराशाजनक तरीके से खत्म हुई। मतदान दल के चार सदस्यों और चार ग्रामीणों ने ही मतदान किया। शनिवार को वोटिंग कराने गई टीम वापस पिथौरागढ़ लौट आई। वोटिंग के ग्रामीणों की उदासीनता का कारण उनकी सबसे बुनियादी जरूरत सड़क रही। सड़क निर्माण को लेकर लगातार क्षेत्र को उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की मांग को लेकर लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भी शून्य मतदान के साथ वोटिंग का बहिष्कार किया था।

16 को ही निकली थी टीम
कनार गांव में वोट कराने के लिए मतदान अधिकारियों, सुरक्षाकर्मियों और एक मजिस्ट्रेट सहित 21 लोगों की टीम मंगलवार यानी 16 अप्रैल को पिथौरागढ़ शहर से यात्रा पर निकली। दुर्गम इलाके को पार करते हुए गांव तक जा रहे थे। बीच रास्ते में उन्होंने रात्रि विश्राम के लिए एक प्राथमिक विद्यालय की तलाश की। 80 किलोमीटर की कठिन बस यात्रा के बाद दल कनार के निकटतम सड़क मार्ग बारम पहुंचा। बुधवार को भोर होते ही टीम कनार की ओर यात्रा पर निकल पड़ी। उनके साथ चार भारवाहक भी चल रहे थे। वे ईवीएम और अन्य आवश्यक चुनाव सामग्री से लेकर जा रहे थे।

पीठासीन पदाधिकारी ने जताई निराशा
टीम 16 किलोमीटर की पदयात्रा करके बुधवार शाम करीब 7 बजे कनार पहुंची। गुरुवार को मतदान केंद्र स्थापित करने से पहले एक सरकारी स्कूल में विश्राम किया। उनकी पूरी यात्रा के दौरान भोजन माता (सरकारी स्कूलों में खाना पकाने के लिए तैनात महिलाएं) की ओर से उन्हें खाना दिया गया। शिक्षक और कनार गांव में मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार ने निराशा जताते हुए कहा कि हमने ऊबड़-खाबड़ रास्तों को पार करते हुए चार दिन बिताए। 80 किलोमीटर बस से और 16 किलोमीटर पैदल चलकर बूथ तक आए। इसके लिए हमने 1800 मीटर की चढ़ाई भी तय की। इतनी दूरी तय करके वापस इस प्रकार लौटना निराशाजनक था।

ग्रामीणों ने जताई नाराजगी
कनार गांव के लोगों ने सड़क को लेकर एक बार फिर नाराजगी जताई। चुनाव पदाधिकारियों की ओर से उन्हें वोट के लिए मनाया गया, लेकिन वे अपनी मांग पर डटे रहे। स्थानीय ग्रामीण जीत सिंह ने कहा कि चुनाव बहिष्कार हमारे लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष का प्रमाण है। सरकार के लिए यहां का मतदान प्रतिशत या इसमें कमी हमारे बुनियादी अधिकारों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। हम सड़क के लिए तरसते हुए रोजाना कठिनाइयों को सहन करते हैं। अधिकारियों को हमारी भलाई के बारे में कोई चिंता नहीं है। इसलिए कोई कारण नहीं है कि हमें वोट देना चाहिए। अन्य ग्रामीणों ने भी उनका समर्थन किया।