नवविवाहित और कुंवारी लड़कियां इस बार छठ व्रत क्यों नहीं रख सकतीं, जानिए इसका कारण

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नई दिल्ली : Chhath Puja 2023: हर साल बिहार, उत्तरप्रदेश और दुनियाभर में रह रहे इसी संप्रदाय के लोग धूमधाम से छठ महापर्व मनाते हैं. हिंदू धर्म में ये एकमात्र ऐसा व्रत है जिसमें 36 घंटे का उपवास होता है. कड़ी तपस्या और नियमों का पालन करते हुए छठ का व्रत करने वाले व्यक्ति की हम मनोकामना पूरी होती है. इस साल कुछ धार्मिक वजहों से कुंवारी कन्याएं और नवविवाहित स्त्रियां यानि जिन महिलाओं का शादी के बाद पहला छठ पर्व है वो इसे नहीं कर सकती. ऐसा क्यों है और अगर ये महिलाएं और कन्याएं व्रत नहीं कर सकती तो ये किस तरह पूजा करें आइए सब जानते हैं.

कब है छठ महापर्व 2023

इस साल छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर से हो रही है और 4 दिनों के इस त्योहार को मनाया जाएगा.

17 नवंबर को नहाए खाए की पूजा होगी

18 नवंबर को खरना में गुड़ की खीर का भोग लगेगा

19 नवंबर को शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देने की रस्म है

20 नवंबर को सुबह सूर्य की पहली किरण को जल देकर इस व्रत का पारण किया जाएगा.

नवविवाहिताएं क्यों न करें व्रत?

नवविवाहित स्त्रियों के लिए छठ का पर्व बेहद खास होता है. लेकिन इस साल कोई भी न्यू मैरिड लड़की ये व्रत नहीं रख सकती. हालांकि वो घर या बाहर ये व्रत करने वाले लोगों की मदद कर सकती हैं उनकी पूजा में भाग ले सकती है लेकिन मलमास के कारण इस साल उनका ये व्रत रखना वर्जित माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये व्रत रखना उनके लिए वर्जित है. तो जिन भी लड़कियों की इस साल शादी हुई है और वो शादी के बाद अपना पहला छठ पर्व मना रही है वो इस साल व्रत ना रखें. छठी मईया की सच्चे दिल से पूजा करें और अपने रिश्ते को और मजबूत बनाने की मनोकामना मांगे.

कुंवारी लड़कियां क्यों न करें व्रत?

यह व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए पूरी तरह वर्जित है. माना जाता है कि सूर्य उपासना सधवा हो विधवा ही कर सकती है. दरअसल, माना जाता है कि कुंवारी अवस्था में ही कुंती ने सूर्य उपासना की थी, इसलिए वे मां बन गईं. इसके बाद से यह व्रत कुंवारी लड़कियां नहीं करती हैं. हालांकि, वे चाहें तो घर में माता-बहनों की मदद कर सकती हैं. वे प्रसाद बनाने में अपनी भूमिका अदा कर सकती हैं. इससे भी सूर्य देव प्रसन्न होते हैं.