छत्तीसगढ़ की राजनीति के लिए क्यों अहम हैं आदिवासी वोटर? 34 फीसदी वोट पर फोकस

Why tribal voters are important for the politics of Chhattisgarh? Focus on 34 percent vote
Why tribal voters are important for the politics of Chhattisgarh? Focus on 34 percent vote
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रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव इसी साल नवंबर-दिसंबर में हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी-कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटर्स हैं। छत्तीसगढ़ की सियासत में ऐसा कहा जाता है कि आदिवासी वोटर जिस पार्टी के साथ जाता है राज्य में उसकी सरकार बनती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छत्तीसगढ़ की कुल आबादी करीब 2.75 करोड़ है। जिसमें से 34 फीसदी आदिवासी वोटर्स हैं। विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए 29 सीटें आरक्षित की गई हैं। इन 29 सीटों को छोड़कर भी कई ऐसी सीटें हैं जहां आदिवासी वोटर्स हार-जीत में अहम फैक्टर निभाते हैं। यही कारण है कि दोनों ही पार्टियां आदिवासियों पर फोकस कर रही हैं।

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 28 आदिवासी सीटों पर जीत हासिल की थी। जिसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी थी। इसके अलावा लोकसभा 11 सीटों में से 4 सीटें आरक्षित हैं। बस्तर, कांकेर, रायगढ़ और सरगुजा लोकसभा सीट एसटी के लिए आरक्षित हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ बस्तर लोकसभा सीट में जीत दर्ज की थी जबकि 3 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी।

आदिवासी वोट पर फोकस क्यों

कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटर्स
मुख्यमंत्री के रूप भूपेश बघेल लगातार आदिवासी तक पहुंच बनाने के लिए काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भूपेश बघेल ने आदिवासियों की हजारों एकड़ जमीन वापस कराने का फैसला लिया। जिसे राज्य सरकार ने एक प्रस्तावित स्टील परियोजना के लिए अधिग्रहित किया था। इसके अलावा सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है। इसने वनोपज के समर्थन मूल्य में भी वृद्धि की गई है। इसके लिए एक बाजार भी स्थापित किया गया है। राज्य सरकार इस बाजार में वनोपज की खरीद भी कर रही है।

आदिवासी सीएम का भी मुद्दा
छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री का मुद्दा भी समय-समय पर उठता रहा है। इस बार सर्व आदिवासी समाज ने विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासी वोटर्स को मुद्दा बनाया है। सर्व आदिवासी समाज के नेता अरविंद नेताम ने घोषणा की है कि राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में आरक्षित सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। इस घोषणा के बाद बीजेपी और कांग्रेस में हलचलें मच गई हैं। यही कारण है कि एक बार फिर से आदिवासी वोटर्स पर जोर दिया जा रहा है।

बस्तर और सरगुजा पर फोकस
सरगुजा और बस्तर संभाग राज्य के आदिवासी बाहुल्य इलाके हैं। बीजेपी और कांग्रेस के सीनियर लीडर लगातार इन क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। इस क्षेत्र में सर्व आदिवासी समाज के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी अशर देखने को मिलता है। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह भी बस्तर क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस ने जगदलपुर में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया था। वहीं, बीजेपी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर भी लगातार यहां का दौरा कर रहे हैं।