उत्तराखंड मे फर्जी कोविड जांच रिपोर्ट लेकर घूमने आ रहे पर्यटक

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देहरादून: उत्तराखंड के पड़ोसी राज्यों यूपी, दिल्ली, पंजाब हरियाणा आदि से फर्जी कोविड जांच रिपोर्ट लेकर पर्यटक घूमने प्रदेश आ रहे हैं। चिंता की बात है कि पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ ही कोरोना जांच भी कम हो रही है। यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर पर आशारोड़ी चेकपोस्ट पर कोरोना की फर्जी जांच रिपोर्ट का खुलासा हुआ है। फर्जी नेगेटिव रिपोर्ट दिखाकर पर्यटक उत्तराखंड घूमने पहुंच गए थे। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने पर्यटकों के लिए कोरोना आरटीपीसीआर की 72 घंटे की नेगेटिव रिपोर्ट को अनिवार्य किया है। दिल्ली-एनसीआर के पर्यटकों का बड़ी संख्या में फर्जी रिपोर्ट के साथ पकड़े जाने से अफसर भी हैरत में हैं।

पिछले पांच दिनों के भीतर करीब सौ जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग ने अपने कब्जे में ली हैं। खुलासा होने के बाद चेकिंग प्वाइंट पर स्वास्थ्य विभाग की टीमों का अलर्ट किया गया है। विभाग मामले में मुकदमा दर्ज करने की तैयारी में है। कोरोना के केस कम होने के बाद देहरादून और मसूरी में बड़ी संख्या में पर्यटक उमड़ रहे हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटकों को सीमा पर कोविड नेगेटिव रिपोर्ट दिखाकर प्रवेश दिया जा रहा है। रिपोर्ट नहीं होने पर जांच की जा रही है और नेगेटिव रिपोर्ट आने पर ही प्रवेश दिया जा रहा है। जांच कराने में आनाकानी करने वालों को लौटा दिया जा रहा है। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित का कहना है कि चेकिंग के दौरान पर्यटकों के पास फर्जी कोरोना जांच रिपोर्ट पकड़ी गई हैं।

ज्यादातर मामलों में दूसरे की नेगेटिव रिपोर्ट में नाम आदि डिटेल बदली मिली हैं। फर्जीवाड़े में पुरानी रिपोर्ट के प्रिंट को स्कैन कर उसमें बदलाव या डार्ट कॉपी में फेरबदल पकड़ में आया है। ऐसे लोगों को चेतावनी देकर रिपोर्ट कब्जे में ली गई हैं। मौके पर जांच नेगेटिव आने पर ही प्रवेश दिया जा रहा है। जिन लोगों की रिपोर्ट फर्जी निकली है, उनमें अधिकांश यूपी, दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के पर्यटक हैं। पुलिस एवं जांच केंद्र प्रभारी को निर्देशित किया गया है कि चेतावनी के बाद भी लोग नहीं मान रहे हैं तो उनके खिलाफ आपदा अधिनियम में कार्रवाई की जाए। एंट्री प्वाइंट पर पुलिस से सख्ती के लिए कहा गया है।

हमारे संज्ञान में अभी किसी के फर्जी रिपोर्ट के आधार पर एंट्री की सूचना नहीं है। न ही अभी तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे किसी मामले से अवगत कराया गया है। रिपोर्ट असली या फर्जी की जांच करना तकनीकी पहलू है, वह स्वास्थय विभाग की टीम ही करती है। विभाग द्वारा इस संबंध में लिखकर दिये जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग बार कोड के माध्यम से असली और फर्जी रिपोर्ट की जांच कर रहा है। कई मामले फर्जी रिपोर्ट के सामने आ रहे हैं। पुलिस टीम से अनुरोध है कि गाड़यिों को बूथ पर भेजें, ताकि रिपोर्ट की जांच की जा सके। टीम के पास दो सिपाही भी तैनात करने का निवेदन किया गया है, ताकि फर्जी रिपोर्ट वालों को पुलिस के सुपुर्द किया जा सके।
डॉ. एक्यू अंसारी, जांच प्रभारी, आशारोड़ी बार्डर

एक एसआरएफ आईडी पर कई रिपोर्ट:घूमने आने वाले कई लोगों की एसआरएफ आईडी (पंजीकरण नंबर) एक ही मिला। यही नहीं पर्यटकों को जब पता चला कि रिपोर्ट की बार्डर पर जांच की जा रही है। तो कई ने रिपोर्ट में बार कोड धुंधला कर दिया। ऐसी रिपोर्ट को टीम ने स्वीकार नहीं किया और दोबारा जांच कराई गई। जांच के दौरान कई ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने कार्रवाई के डर से रिपोर्ट को फाड दिया। जांच रिपोर्ट को ज्यादातर लोग लैब के लिफाफे में लेकर आ रहे हैं।

हजारों के फर्जी रिपोर्ट पर प्रवेश की आशंका:विभागीय सूत्रों की मानें तो हजारों पर्यटकों के फर्जी रिपोर्ट के द्वारा एंट्री किये जाने की आशंका है। क्योंकि आशारोड़ी बॉर्डर से रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक गुजर रहे हैं। गाड़ी के अंदर से ही अधिकांश पर्यटक रिपोर्ट दिखाते हैं। पुलिस कर्मचारी बहुत कम लोगों की बार कोड से जांच कराते हैं। जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि बड़ी संख्या में फर्जी रिपोर्ट बनाकर एंट्री पा रहे हैं।

बार्डर पर सबकी रिपोर्ट कैसे जांचें:बार्डर पर तैनात पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का यह तर्क है कि बार्डर पर बड़ी संख्या में वाहन आते हैं। ऐसे में नेगेटिव रिपोर्ट देखकर उन्हें जाने दिया जाता है। बार कोड की जांच सबकी संभव नहीं है, क्योंकि यहां लंबे जाम की समस्या बन जाएगी। विभागीय अफसरों ने रिपोर्ट पर संशय होने पर बार कोड की जांच कराए जाने के निर्देश दिए हैं।