बस रोक 38 हिन्दुओं की हत्या, सिख ड्राइवर को छोड़ दिया: पटियाला में ही खालिस्तानियों ने किया था नरसंहार

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पटियाला: पंजाब के पटियाला में काली मंदिर में हुई हिंसा के बाद एक बार फिर से खालिस्तानियों की चर्चा जोरों पर है। भारत को खंडित कर के पंजाब को अलग मुल्क बनाने का दिवास्वप्न लेकर चले इन खालिस्तानी आतंकियों के नेटवर्क पाकिस्तान से लेकर कनाडा तक हैं और इसका इस्तेमाल वो भारत के खिलाफ सिखों को भड़काने के लिए करते हैं। समय-समय पर वो हिन्दुओं का कत्लेआम मचाते रहे हैं। लालड़ू बस नरसंहार इन्हीं में से एक है।

पटियाला में क्या हुआ?
सबसे पहले बात कर लेते हैं कि उत्तर-पश्चिम भारत में बसे राज्य पंजाब के दक्षिणी-पूर्वी हिस्से में स्थित पटियाला में क्या हुआ। शिवसेना नेता हरीश सिंगला को इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन्हें पार्टी ने भी निकाल दिया है। वीडियो में खालिस्तानी भीड़ को हाथों में तलवार और झंडे लेकर हिन्दुओं से भिड़ते हुए देखा जा सकता है। ‘खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च’ के विरोध में निकले कट्टरवादियों ने काली मंदिर में घुस कर भी ‘बेअदबी’ की।

‘सिख फॉर जस्टिस (SFJ)’ का अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन्नू अक्सर भड़काऊ वीडियो जारी कर के सिखों को उकसाता रहता है, जिसके विरोध में ये मार्च आयोजित किया गया था। पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के इशारों पर नाचने वाले पन्नू ने शुक्रवार (29 अप्रैल, 2022) को ‘खालिस्तान स्थापना दिवस’ मनाने का ऐलान किया था, जिसके विरोध में ये मार्च निकाला गया था। अमृतसर के खानकोट में पैदा हुआ पन्नू विदेश से ही भारत विरोधी एजेंडा चलाता है।

उसे सरकार ने आतंकवादी घोषित कर रखा है। उसने न सिर्फ ‘किसान आंदोलन’ के दौरान सिखों को भड़काया, बल्कि पंजाब चुनाव में भी दखल देने की कोशिश की। पटियाला में उसके खिलाफ रैली निकली तो उसके समर्थक भी सड़क पर आ गए। स्थिति नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हवा में 15 राउंड गोलीबारी करनी पड़ी। AAP कह रही है कि पंजाब का माहौल बिगाड़ने की साजिश हो रही है, जबकि विपक्ष का आरोप है कि AAP की सरकार आने के बाद ही ये सब शुरू हुआ है।

खालिस्तानियों ने दी माँ दुर्गा को गाली
हिन्दू और सिख धर्म सनातन संस्कृति का ही हिस्सा हैं, क्योंकि दोनों का जन्म भारत की भूमि पर ही हुआ है। गुरु नानक ने जहाँ भारतीय ऋषि परंपरा को ही आगे बढ़ाया, वहीं दशम गुरु गोविंद सिंह ने रामायण को अपने तरीके से लिखा। गुरु गोविंद सिंह माँ भगवती की पूजा भी करते थे। निराकार रूप में सिख धर्म में उनकी पूजा होती रही है। लेकिन, जिस तरह अब काली मंदिर में शराब की बोतलें फेंके जाने के आरोप लग रहे हैं, स्पष्ट है कि खालिस्तानी हिन्दुओं और सिखों में दरार डालना चाहते हैं।

इसी बीच निहंगों का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक पगड़ी पहले कट्टरपंथी ये कहते हुए दिख रहा है कि गुरु गोविंद सिंह द्वारा स्थापित ‘खालसा पंथ’ सभी धर्मों का गुरु है। वो कहता दिख रहा है कि हरिद्वार हेमकुंत प्रभात में पहाड़ों पर रहने वाले लोगों को ही देखिए, जिनका वर्णन ‘सर्बलोह ग्रन्थ’ में है। निहंग आगे पूछता है कि उसमें बताए गए पहाड़ी कौन लोग हैं? इसके बाद वो पूछता है, “तुम्हारी दुर्गा को नंगा नाचने के लिए किसने मजबूर किया, पूछिए उनसे?”

सिख कट्टरपंथी इस वीडियो में आगे कहता है, “जब राक्षसों ने इंद्र देवता का घर लूट लिया और दुर्गा को नंगा नाचने के लिए मजबूर किया, तब उसे किसने बचाया? प्रशासन से पूछो। नानक सिंह से पूछो। या तो मंदिर से गोली चलाने वालों को बाहर लेकर आओ, या फिर अपनी बंदूकें उठाओ और सिखों के रास्ते में मत आओ। हम भी देखेंगे कि उनकी काली माता भला कहाँ छिपती है।” क्या आप किसी सनातन संस्कृति को मानने वाले से इस तरह की भाषा की उम्मीद करते हैं?

ये घटना 6 जुलाई, 1987 की है। जैसा कि हमें पता है, पूरा अस्सी का दशक खालिस्तानी आतंकवाद से पीड़ित रहा है। जहाँ एक तरफ जरनैल सिंह भिंडरांवाले के अंत के लिए तत्कालीन इंदिरा गाँधी ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ का आदेश दिया और स्वर्ण मंदिर में सेना घुसी, वहीं दूसरी तरफ इसके आक्रोश के रूप में अपने ही सिख अंगरक्षकों द्वारा इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद बड़े पैमाने पर सिखों का नरसंहार हुआ। इसमें कई कॉन्ग्रेस नेताओं के नाम सामने आए।

खालिस्तानियों ने न सिर्फ प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, बल्कि पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह और तब भारतीय सेना के अध्यक्ष रहे जनरल अरुण श्रीधर वैद्य को भी खालिस्तानियों ने मार डाला। इसी तरह लालड़ू में हरियाणा की एक सरकारी बस को घेर लिया गया। ये बस चंडीगढ़ से ऋषिकेश के लिए निकली थी, जिसमें 75-79 के आसपास हिन्दू सवार थे। रात के 10 बजे के आसपास बस के करीब एक फिएट कार आकर रुकी।

चार बंदूकधारी उसमें से निकल कर बस में घुसे और बस ड्राइवर के सिर पर बंदूक रख कर बस को एक खुली जगह ले जाने के लिए कहा। खालिस्तानियों ने अबसे पहले तो हिन्दुओं को जम कर लूटा। उनके सारे कीमती सामान छीन लिए गए। इसके बाद उन्हें बस में बीच में जमा होने के लिए कहा गया। इसके बाद उन बंदूकधारियों ने बस के दोनों तरफ जाकर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। गुरमीत सिंह नाम का एक आतंकी गोलीबारी में मारा गया।

लेकिन, खालिस्तानी आतंकियों की गोलीबारी में 38 निर्दोष हिन्दुओं की जान चली गई और 33 घायल हो गए। इस घटना को ‘खालिस्तानी कमांडो फ़ोर्स (KCF)’ नामक आतंकी संगठन ने अंजाम दिया था, जिसका अस्तित्व आज भी है। इसके आका अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान में बैठे रहते हैं। मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में भी इसका हाथ था। हालाँकि, इसके खिलाफ चले अभियान के बाद अब ये खासा कमजोर हो गया है।

लालड़ू के बारे में बता दें कि ये जगह भी पंजाब के पटियाला में ही स्थित है। इसके मात्र 24 घंटे बाद ही हरियाणा के हिसार में फतेहाबाद के नजदीक खालिस्तानी आतंकियों ने 22 अन्य नागरिकों की भी हत्या कर दी थी। लालड़ू की घटना में बस का ड्राइवर हरि सिंह सिख ही था। उसे ज़िंदा छोड़ दिया गया था। सबसे पहले पुलिस को उसने ही घटना की जानकारी दी थी।