हरियाणा मे गर्मी ढा रही कहर, पशुओ मे 25 फीसद तक घटा दूध उत्पादन, ये करें उपाय

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यमुनानगर। गर्मी ने हर किसी को बेहाल कर दिया है। इससे केवल इंसान ही नहीं बल्कि पशु, पक्षी भी परेशान हैं। इस सीजन में अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है। इससे दुधारू पशुओं की सेहत बिगड़ने लगी है। पशु हीट स्ट्रोक व बुखार की चपेट में आ रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत अमेरिकन गायों को हो रही है जो इतनी गर्मी सहन नहीं कर पा रही। गर्मी को देखते हुए चिकित्सक पशुओं का खास ध्यान रखने व उपचार में लापरवाही न बरतने की सलाह दे रहे हैं।

25 फीसद तक घटा दूध : राजेंद्र सिंह
यमुनानगर पशु डेयरी एसोसिएशन के प्रधान राजेंद्र सिंह का कहना है कि गर्मी की वजह से डेयरी संचालक परेशान हैं। एचएफ नस्ल की गाय बीमार हो रही हैं। यह गाय गर्मी सहन नहीं कर पा रही। गर्मी के असर से गाय का दूध उत्पादन 25 फीसद कम हो गया। पशुपालक देसी उपचार भी करते हैं, लेकिन उसका खास असर नहीं होता। पहले गांवों में लोग पशुओं को तालाब में नहलाते थे। परंतु अब तालाबों का पानी गंदा रहता है। इसलिए पशुपालक उनमें पशुओं को नहला भी नहीं पाते। एक तरफ गर्मी और दूसरी तरफ पशु खूंटे पर बंध कर रह गए हैं।

पशुपालन विभाग के डाक्टर सुरेंद्र कुमार का कहना है कि पशु अस्पतालों में हीट स्ट्रोक से प्रभावित पशु उपचार के लिए आ रहे हैं। पशुपालकों को इन दिनों खास सावधानी बरतनी चाहिए। क्रास ब्रीड गाय व भैंस पर गर्मी का अधिक असर नहीं है। एचएफ व जर्सी नस्ल में दिक्कत है। पशु का शारीरिक तापमान 105 फारनाहाइट तक पहुंच जाता है। जबकि यह तापमान सामान्य रूप से 98 होना चाहिए। अमेरिकन गाय ज्यादा गर्मी को झेल नहीं पाती। इसलिए उनका खास ध्यान रखना होता है।

हीट स्ट्रोक होने पर पशु के शरीर का तापमान बढ़ने के साथ वह चारा खाना छोड़ देता है। हांफने लगता है। ऐसे लक्षण पाए जाने पर तुरंत उपचार करवाएं। बीमार पशुओं को ग्लूकोज व इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वह डेयरी में छोटे तालाब बनवाएं जिसमें 15 से 20 पशु पानी में नहा सकें। आधुनिक डेयरी में तो फव्वारा सिस्टम भी लगाए जा सकते हैं।

आमतौर पर इस मौसम में पशुओं को भूख कम लगती है और प्यास अधिक। पशुपालक अपने पशु को दिन में कम से कम तीन बार पानी पिलाएं। इससे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिलती रहे। इसके अलावा पशु को पानी में थोड़ी मात्रा में नमक एवं आटा मिलाकर पानी पिलाना चाहिए।

ये हैं लक्षण
पशुओं को लू लगने पर 105 से अधिक बुखार होता है। पशु सुस्त होकर खाना-पीना छोड़ देता हैं। मुंह से जीभ बाहर निकलती है तथा सांस लेने में कठिनाई होती है। मुंह के आसपास झाग आ जाता है।