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74वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कर्तव्य पथ पर तिरंगा फहराया। उनके साथ मुख्य अथिति अब्देल फतेह अलसीसी भी मौजूद थे, जिनका स्वागत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्मजोशी से किया। इसके बाद राष्ट्रगान हुआ। इस दौरान पहली बार भारतीय तोपों ने सलामी दी। अब तक ब्रिटेन में बनी तोपों से सलामी दी जाती थी। इसी के साथ परेड की शुरुआत हो गई है।
इससे पहले गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं। इसके बाद वे वार मेमोेरियल गए और शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
1. अंग्रेजों की बनाई तोपों की जगह भारतीय तोपें देंगी सलामी
गणतंत्र दिवस में राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दिए जाने की परंपरा है। अब तक ये सलामी ब्रिटेन में बनी 25-पाउंडर तोपों से दी जाती थी, जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी इस्तेमाल की गई थीं। अब इनकी जगह भारत में बनी 105MM इंडियन फील्ड गन से सलामी दी जाएगी। ये तोपें जबलपुर और कानपुर की गन फैक्ट्री में बनाई गई थीं।
इन्हें 1972 में डिजाइन किया गया था और ये 1984 से सर्विस दे रही हैं। दिल्ली एरिया के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल भवनीश कुमार ने कहा कि 105MM देश में बनी तोपें हैं इसलिए हम इनसे सलामी देना चाहते हैं। यह हमारे लिए गर्व का विषय है और हम इसीलिए स्वदेशी तोप का इस्तेमाल करेंगे।
2. BSF की ऊंट टुकड़ी में पहली बार महिला अफसर
गणतंत्र दिवस पर पहली बार बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) की ऊंटों की टुकड़ी में महिला अफसरों को शामिल किया गया है। सरफेस टु एयर मिसाइल सिस्टम आकाश टुकड़ी का नेतृत्व लेफ्टिनेंट चेतना शर्मा करेंगीं। इनमें आर्मी के 3 और एयरफोर्स और नेवी की एक-एक मेंबर्स शामिल होंगे।
लेफ्टिनेंट चेतना ने कहा कि उनका सपना पूरा हो गया। चेतना आर्मी एयर डिफेंस यूनिट में पोस्टेड हैं। चेतना के अलावा लेफ्टिनेंट डिंपल भाटी आर्मी की डेयरडेविल्स मोटरसाइकिल टीम का हिस्सा होंगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए वो पिछले एक साल से ट्रेनिंग कर रही हैं।
3. इंडियन एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो, एयर-फील्ड ऑपरेशन में एक्सपर्ट
इंडियन एयरफोर्स (IAF) की स्पेशल गरुड़ कमांडो फोर्स भी परेड में नजर आएगी। 2004 में बनी इस स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग सबसे ज्यादा 72 हफ्तों तक चलती है। अभी इस फोर्स में 1780 कमांडो हैं। ये एंटी टेरर ऑपरेशन और एयर-फील्ड डिफेंस में एक्सपर्ट होते हैं।
ये सभी तरह के आधुनिक हथियार चलाने में माहिर होते हैं। 2 जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकवादी हमले के दौरान मोर्चा गरुड़ कमांडोज ने ही संभाला था। इस हमले में 2 सैनिक शहीद हुए थे।