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NMC New Guideline on Unnatural Sex: आपने अक्सर आपराधिक और कानूनी मामलों में अन-नेचुरल या ‘अप्राकृतिक’ सेक्स जैसे शब्दों के बारे में सुना होगा. लेकिन अब सरकार धीरे-धीरे इस मुद्दे पर उदार रुख अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. सरकार के तहत आने वाले नैशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने MBBS के सिलेबस से ‘अप्राकृतिक’ सेक्स शब्द को हटा लिया है.
कोई भी सेक्सुअल गतिविधि अप्राकृतिक नहीं
आयोग की इस पहल को अहम पहल माना जा रहा है. सहयोगी वेबसाइट इंडिया डॉट कॉम के मुताबिक अब 2 बालिगों की ओर से आपसी रजामंदी से की गई किसी भी सेक्सुअल गतिविधि को अप्राकृतिक नहीं माना जाएगा. समलैंगिकता को कानूनी अधिकार देने की मांग कर रहे लोगों के हित में इस कदम को टर्निंग पॉइंट बताया जा रहा है.
मेडिकल साइंस से हटाया गया शब्द
रिपोर्ट के मुताबिक NMC ने अपने MBBS के ‘फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सीकोलॉजी’ कोर्स पर रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट में समलैंगिकता जैसी यौन गतिविधियों के मेडिकल वर्गीकरण से ‘अप्राकृतिक’ शब्द को हटा दिया है. इसका मतलब ये हुआ कि अगर दो पुरुष या दो महिला आपसी सहमति से ‘संबंध’ बनाते हैं तो उसे अपराकृतिक नहीं माना जाएगा. अगर कोई महिला-पुरुष भी अलग तरीके से ‘रिलेशन’ बनाते हैं तो उसे भी अननैचुरल नहीं कहा जाएगा.
बताते चलें कि ‘LGBTQIA-प्लस’ समुदाय की मांग पर मद्रास हाई कोर्ट ने NMC को इस संबंध में विचार करने का आदेश दिया था. इसके बाद कमीशन ने अपने अंडर ग्रेजुएट बोर्ड की अध्यक्ष अरुणा वणिकर के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की. जिसने ‘अप्राकृतिक’ सेक्स शब्द को मेडिकल साइंस से हटाने की सिफारिश की है.
समलैंकिगता को मिलेगा कानूनी अधिकार?
इस समिति में शामिल रहे डॉ इंद्रजीत खांडेकर के मुताबिक , ‘मेडिकल साइंस में शुरू में समलैंगिकता को अप्राकृतिक माना जाता था, इसलिए इसे विकार की श्रेणी में रखा गया था. अब समलैंगिकता को विकार यानी कमी की श्रेणी से हटा लिया गया है.’