जबलपुर। विदेशी इलेक्ट्रानिक सामानों का व्यवसाय में पार्टनर बनकर निवेश पर चार गुना कमाइ का झांसा देकर 1.58 करोड़ की ठगी का मामला सामने आया है। ये ठगी राजस्थान के जालसाजों ने छत्तीसगढ़ के दो भाईयों सहित चार लोगों के साथ ये ठगी जबलपुर में कार्यालय खोलकर की। मदनमहल पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ ठगी का मामला दर्ज कर जांच में लिया है।
मदनमहल पुलिस के मुताबिक पाल लाउस के पास फाफाडीह रमण मंदिर वार्ड जिला रायपुर (छग) निवासी पंकज मलंग ने ये शिकायत दर्ज कराई है। मलंग व्यवसायी है, इस कारण वो पूर्व से राजस्थान के व्यापारियों महेंद्र प्रताप सिंह व भानू प्रताप सिंह राठौर को जानता था।
दोनों उसके कुछ मित्रों के साथ पार्टनरशिप में व्यवसाय करते थे। इस कारण उनसे परिचय था। भानू प्रताप सिंह ने बताया कि उसने महेंद्र के साथ मिलकर एक व्यवसायिक कंपनी सांग्याजी इंटरप्राइजेस नाम से इलेक्ट्रानिक सामानों की एक बड़ी कंसाइनमेंट विदेश से भारत मंगाई है। इस धंधे में चार गुना लाभ है।
जबलपुर को बनाया था हेड आफिस
जबलपुर को उन्होंने अपना हेड आफिस बनाया है। आरोपियों ने बताया कि उन्हें कुछ पैसों तंगी है, इस कारण वे पार्टनर खोज रहे हैं। चार गुना लाभ सुनकर मलंग तैयार हो गया। उसने चचेरे भाई सतीश मलंग से बात की तो उसे भी ये व्यवसाय जमा। दोनों भाइयों ने भानू प्रताप को निवेश की रजामंदी दे दी। इसके बाद दोनों भाई अनुबंध के लिए जबलपुर स्थित अग्रवाल कॉलोनी आफिस बुलाया।
मौके पर भानू के अलावा विजय नगर निवासी नारायण चक्रवर्ती भी थे। नारायण को वो पहले से जानता है। अनुबंध के समय 15 लाख दोनों भाइयों ने भानू व महेंद्र को नकद दिए। अनुबंध में गवाह के तौर पर नारायण चक्रवर्ती और पद्मेश शुक्ला के हस्ताक्षर कराए गए। इसके बाद दोनों भाई रायपुर लौट गए।
अनुबंध के एक महीने बाद पैसे मांगे
एक माह बाद भानू प्रताप सिंह ने फोन पर कहा कि माल शिप के द्वारा आ गया है। उसे लेने मुंबई जाना है। डीडी के माध्यम से रुपये भेजने है। दोनों ने तुरंत रुपए की जरूरत बताई। दोनों भाइयों ने जबलपुर आने में असमर्थता व्यक्त की। इसके बाद भानू प्रताप सिंह और महेन्द्र प्रताप सिंह रायपुर गए। 4 दिसंबर 2017 से 3 अप्रैल 2018 के बीच में दोनों भाईयों ने 1 करोड़ 58 लाख रुपए लिए। ये पैसे उसने महेंद्र प्रताप सिंह सहित अन्य हिस्सेदार संजय जनगित और नरसीराम जनगित के नाम से आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर किए थे।
कई राज्यों में कई लोगों को लगा चुके हैं चपत
पैसे लेने के बाद भी आरोपी व्यवसाय के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे थे। संदेह होने पर उसने संग्याजी इन्टरप्राईजेस की जांच पड़ताल की। पता चला कि भानू प्रताप सिंह और महेन्द्र प्रताप सिंह ने कई लोगों को इसी तरह से चूना लगाया है। यह भी पता लगा है कि ये लोग अलग अलग प्रदेशों में किराये पर मकान लेकर कार्यालय खोलते हैं।
वहां ब्रोशर फोटोग्राफ आदि दिखाकर लोगों को अपनी आकर्षक बातों में फंसाते हैं और फिर उस शहर में अपना कार्यालय बंद कर फरार हो जाते हैं। दोनों ने अनुबंध के समय आधार कार्ड दिया था, जिसमें जोधपुर राजस्थान का पता अंकित है।
जबलपुर का कार्यालय बंद कर फरार
जबलपुर का कार्यालय भी दोनों बंद कर फरार हो गए। इस पर दोनों भाई इनकी तलाश में जोधपुर पहुंचे। वहां कुछ लोगों की मदद से महेंद्र व भानू को पकड़ लिया। दबाव पर दोनों ने 54 लाख 75 हजार रुपए का चेक दिया। पर बाद में ये चेक भी बाउंस हो गया। तब से भानू व महेंद्र लगातार गोलमोल जवाब दे रहे हैं।
वे कॉल भी रिसीव नहीं करते। दूसरे फोन से बात होने पर अभद्रता करते हुए धमकी देते हैं। आरोपियों ने विजय नगर निवासी नारायण चक्रवर्ती से भी ठगी की है। उन्होंने 2021 में संजीवनी नगर थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।
चार लोगों के खिलाफ की गई ठगी
महेन्द्र प्रताप सिंह एवं भानू प्रताप सिंह द्वारा पंकज मलंग, सतीश मलंग, करण तलरेजा और रतन कुमार आसमानी के साथ अनुबंध के आधार पर 1 करोड़ 58 लाख रुपये का गबन कर लिया। मदनमहल पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में ख़यानत का प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया है।