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नालंदा। बिहार में शिक्षा के स्तर को लेकर सरकार या मंत्रालय लाख दावे कर लें, लेकिन जब आप इसकी हकीक़त देखेंगे तो आप भी हैरान व परेशान हो जाएंगे। पिछले दिनों नालंदा ज़िले से ही झोपड़ी में स्कूल संचालित होने का मामला सामने आया था। उससे पहले कटिहार ज़िले से एक कमरे में ही स्कूल संचालन के साथ-साथ एक बोर्ड पर दो अलग-अलग विषय पढ़ाने की खबर सुर्खियों में थी। आज(मंगलवार) को भी शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने की तस्वीर सामने आई है।
सरकारी स्कूल में छात्रों के साथ हो रही ज़्यादती
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा के राजगीर अनुमंडलीय क्षेत्र गोवडीहा प्राथमिक विद्यालय का यह मामला है। जहां शिक्षक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की जगह उससे पंखा झलवाते हैं और पैर दबवाते हैं। इन्हीं बच्चों में से एक बच्चे ने अपने परिजन से इस बात की शिकायत की। शिकायत के बाद परिजन स्कूल पहुंचे जहां उन्होंने बच्चे की शिकायत को सही पाया। इसके साथ ही शिक्षक का छात्रों के साथ ज्यादती करने वाला वीडियो बना कर किसी ने सोशल मीडिया पर भी वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग हरक़त में आया और जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए।
‘जांच के बाद की जाएगी उचित कार्रवाई’
वायरल वीडियो पर ज़िला शिक्षा पदाधिकारी केशव प्रसाद ने बताया कि मीडिया के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। जांच का आदेश दे दिया गया है, जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। नालंदा के बेन प्रखंड से भी बदहाल शिक्षा व्यवस्था की खबर सामन आई थी। बुल्ला बीघा गांव में बीते 8 वर्षों से फूस से बने झोपड़ीनुमा भवन में स्कूल संचालित किया जा रहा है। गौरतलब है कि बिहार के मुखिया नीतीश कुमार का गृह ज़िला होने के साथ ही बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का यह गृह प्रखंड है। यही वजह है कि यहां की शिक्षा व्यवस्था का हाल अब सुर्खियों में बन गया है। राजकीय प्राथमिक स्कूल के भवन के लिए जमीन आवंटित की जा चुकी है। लेकिन अभी तक स्कूल बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है।
शौचालय के लिए खेत में जाते हैं बच्चे
स्कूल भवन नहीं होने के बावजूद छात्र झोपड़ी से बने स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो इस स्कूल में लगभग 70 से भी ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन जगह की कमी होने से बच्चे जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का ये आलम है कि बच्चे पानी पीने के लिए गांव के चापाकल का इस्तेमाल करते हैं वही शौचालय के लिए खेत में जाते हैं। झोपड़ी में पढ़ाई होने की वजह से बारिश के दिनों में बच्चों का काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
झोपड़ी से शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र
बिहार के मुख्यमंत्री का गृह जिला और ग्रामीण विकास मंत्री का गृह प्रखंड होने के बावजूद सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। सरकार के बेरुखी का नतीजा है कि बच्चे जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर हैं। मीडिया में बात आने के बाद आनन-फानन में जिला शिक्षा पदाधिकारी केशव प्रसाद के द्वारा शिफ्टिंग का लेटर जारी कर दिया गया। पत्र में जानाकारी दी गई कि नव प्राथमिक विद्यालय बुल्ला विगहा का अपना भवन नहीं रहने के कारण अब अगले आदेश तक इसे उत्क्रमित मध्य विद्यालय अमिया में शिफ्ट किया जाता है। अब यहां पठन पाठन किया जाएगा। पूरे विश्व में ज्ञान देने के लिए जानी जाने वाली नालंदा की धरती आज खुद झोपड़ी से शिक्षा ग्रहण करवाने पर मजबूर है।