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कोलंबो: कंगाली की हालत से गुजर रहे श्रीलंका की सरकार ने अरबों डॉलर की आर्थिक मदद करने वाले भारत के खिलाफ एक के बाद एक दो बड़े कदम एक साथ उठाए हैं। श्रीलंका की रानिल विक्रमसिंघे की सरकार ने पहले चीन में बने पाकिस्तान के सबसे घातक युद्धपोत पीएनएस तैमूर को अपने यहां लंगर डालने और सैन्य अभ्यास की मंजूरी दे दी। इसके बाद भारत के विरोध को खारिज करते हुए चीन के शक्तिशाली जासूसी जहाज युआन वांग 5 को अपने हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की दोबारा अनुमति दे दी। विश्लेषकों का कहना है कि इसके पीछे चीन का बड़ा लालच और पाकिस्तान का पुराना अहसान है जिसे श्रीलंका छोड़ नहीं पा रहा है।
आइए समझते हैं पूरा मामला….
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पहले बात चीन के जासूसी जहाज की। श्रीलंका की सरकार ने चीन के जासूसी जहाज युआन वांग 5 को अगले सप्ताह देश के हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की अनुमति दे दी है। यह हंबनटोटा बंदरगाह चीन के नियंत्रण में है और भारत तथा पश्चिमी विश्लेषकों का मानना है कि इसका इस्तेमाल चीन भविष्य में नौसैनिक बेस के रूप में कर सकता है। भारत और अमेरिका ने चीन के इस जासूसी जहाज को श्रीलंका में रुकने का कड़ा विरोध किया था। इसके बाद श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीन से इसकी यात्रा को स्थगित करने का अनुरोध किया था।
चीन ने श्रीलंका को दिया है बड़ा लालच
इसके बाद चीन की सरकार ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर दबाव बनाया। कई दिनों के राजनयिक खींचतान के बीच श्रीलंका की सरकार ने चीन के आगे घुटने टेक दिए। दरअसल, चीन ने कंगाल हो चुके श्रीलंका को अरबों डॉलर का कर्ज दे रखा है। पिछली गोटाबाया सरकार पर श्रीलंका से कर्ज से लेकर भ्रष्टाचार करने के आरोप भी लगे हैं। चीन ने ही राजपक्षे परिवार के लिए बेहद अहम हंबनटोटा में अरबों डॉलर लगाए और बाद में कर्ज जाल में फंसाकर पूरे बंदरगाह को 99 साल के लिए ले लिया।
जर्मन न्यूज वेबसाइट डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने श्रीलंका को लालच दिया है कि वह कोलंबो को दिए अपने इंफ्रास्ट्रक्चर लोन को रीस्ट्रक्चर करेगा। श्रीलंका के लिए यह कर्ज का रिस्ट्रक्चर होना इसलिए जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से बेलआउट पैकेज लेना है। आईएमएफ से लोन के लिए यह जरूरी है कि चीन अपने कर्ज को रीस्ट्रक्चर करे। चीन अगर अड़ंगा लगा देता तो श्रीलंका आईएमएफ से बेलआउट पैकेज नहीं ले पाता। यही नहीं चीन ने जहाज की यात्रा को स्थगित करने के श्रीलंका के अनुरोध पर बहुत कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। माना जा रहा है कि इसी डर और ड्रैगन की धमकी को देखते हुए श्रीलंका ने यह फैसला लिया है।
श्रीलंका पाकिस्तानी युद्धपोत के साथ करेगा युद्धाभ्यास
श्रीलंका ने चीन के दोस्त पाकिस्तान को भी खुश करने के चक्कर में भारत के खिलाफ कदम उठाया है। बांग्लादेश की ना के बाद श्रीलंका ने पाकिस्तानी नौसेना के सबसे आधुनिक युद्धपोत पीएनएस तैमूर को न केवल अपने यहां शरण दी है, बल्कि उसके साथ सैन्य अभ्यास करने जा रहा है। पाकिस्तानी नौसेना का युद्धपोत चीन में बना है और उसका सबसे घातक युद्धपोत है। पाकिस्तान ने इस युद्धपोत को चीन से खरीदा है और शक्ति प्रदर्शन के लिए बांग्लादेश जाना चाहता था लेकिन बांग्लादेश की सरकार ने उसे अनुमति नहीं दी। यह युद्धपोत लेजर गाइडेड मिसाइलों और कई सेंसर से लैस है।
दरअसल, पाकिस्तान की सेना ने श्रीलंकी की सेना के तमिल उग्रवादी गुट लिट्टे के खात्मे में बड़ी भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान ने श्रीलंका की सेना को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण और सैन्य अधिकारी कोलंबो भेजा था। पाकिस्तानी अखबार द न्यूज ने पाकिस्तानी सेना के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा था, ‘यह श्रीलंका के साथ पाकिस्तानी रक्षा सहयोग से संभव हुआ था क्योंकि हमने सबसे ज्यादा हाईटेक सैन्य उपकरण श्रीलंकाई सेना को दिए थे जिसें लिट्टे के खात्मे में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी।’ बता दें कि भारत ने उस समय श्रीलंका को हथियारों की मदद नहीं की थी। पाकिस्तान ने 10 करोड़ डॉलर के टैंक और 6.5 करोड़ डॉलर के हथियार श्रीलंका को भेजे थे। इसके अलावा हजारों की तादाद में तोप के गोले और अन्य घातक हथियार पाकिस्तान ने दिए थे।